कोटला पर जेटली की प्रतिमा के सुझाव से खफा बेदी ने डीडीसीए से स्टैंड्स पर से नाम हटाने को कहा | Bedi piqued by Jaitley's suggestion of statue at Kotla asked DDCA to remove names from stands

कोटला पर जेटली की प्रतिमा के सुझाव से खफा बेदी ने डीडीसीए से स्टैंड्स पर से नाम हटाने को कहा

कोटला पर जेटली की प्रतिमा के सुझाव से खफा बेदी ने डीडीसीए से स्टैंड्स पर से नाम हटाने को कहा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:55 PM IST, Published Date : December 23, 2020/11:35 am IST

नयी दिल्ली, 23 दिसंबर ( भाषा ) फिरोजशाह कोटला मैदान पर डीडीसीए के दिवंगत अध्यक्ष अरूण जेटली की प्रतिमा लगाने के फैसले से खफा महान स्पिनर बिशन सिंह बेदी ने क्रिकेट संघ से उनका नाम दर्शक दीर्घा से हटाने के लिये कहा है । उनके नाम पर दीर्घा 2017 में बनाई गई थी ।

दिल्ली और जिला क्रिकेट संघ ( डीडीसीए ) पर बरसते हुए बेदी ने भाई भतीजावाद और ‘क्रिकेटरों से ऊपर प्रशासकों को रखने’ का आरोप लगाते हुए संघ की सदस्यता भी छोड़ दी ।

उन्होंने डीडीसीए के मौजूदा अध्यक्ष और अरूण जेटली के बेटे रोहन जेटली को लिखे पत्र में कहा ,‘‘ मैं काफी सहनशील इंसान हूं लेकिन अब मेरे सब्र का बांध टूट रहा है । डीडीसीए ने मेरे सब्र की परीक्षा ली है और मुझे यह कठोर कदम उठाने के लिये मजबूर किया ।’’

बेदी ने कहा ,‘‘ तो अध्यक्ष महोदय मैं आपसे मेरा नाम उस स्टैंड से हटाने का अनुरोध कर रहा हूं जो मेरे नाम पर है और यह तुरंत प्रभाव से किया जाये । मैं डीडीसीए की सदस्यता भी छोड़ रहा हूं ।’’

जब बेदी के पत्र पर जवाब के लिये डीडीसीए को संपर्क किया गया तो उसने कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

जेटली 1999 से 2013 के बीच 14 साल तक डीडीसीए अध्यक्ष रहे । क्रिकेट संघ उनकी याद में कोटला पर छह फुट की प्रतिमा लगाने की सोच रहा है ।

डीडीसीए ने 2017 में मोहिंदर अमरनाथ और बेदी के नाम पर स्टैंड्स का नामकरण किया था ।

बेदी ने कहा ,‘‘ मैने काफी सोच समझकर यह फैसला लिया है । मैं सम्मान का अपमान करने वालों में से नहीं हूं । लेकिन हमें पता है कि सम्मान के साथ जिम्मेदारी भी आती है । मैं यह सुनिश्चित करने के लिये सम्मान वापिस कर रहा हूं कि जिन मूल्यों के साथ मैने क्रिकेट खेली है, वे मेरे संन्यास लेने के चार दशक बाद भी जस के तस हैं ।’’

उन्होंने कहा कि वह कभी जेटली की कार्यशैली के मुरीद नहीं रहे और हमेशा उन फैसलों का विरोध किया जो उन्हें सही नहीं लगे ।

उन्होंने कहा ,‘‘ डीडीसीए का कामकाज चलाने के लिये जिस तरह से वह लोगों को चुनते थे, उसे लेकर मेरा ऐतराज सभी को पता है ।मैं एक बार उनके घर पर हुई एक बैठक से बाहर निकल आया था क्योंकि वह बदतमीजी कर रहे एक शख्स को बाहर का रास्ता नहीं दिखा सके थे ।’’

बेदी ने कहा ,‘‘ मैं इस मामले में बहुत सख्त हूं ।शायद काफी पुराने ख्याल का । लेकिन मैं भारतीय क्रिकेटर होने पर इतना फख्र रखता हूं कि चापलूसों से भरे अरूण जेटली के दरबार में हाजिरी लगाना जरूरी नहीं समझता था ।’’

उन्होंने कहा ,‘‘ फिरोजशाह कोटला मैदान का नाम आनन फानन में दिवंगत अरूण जेटली के नाम पर रख दिया गया जो गलत था लेकिन मुझे लगा कि कभी तो सदबुद्धि आयेगी । लेकिन मैं गलत था । अब मैने सुना कि कोटला पर अरूण जेटली की मूर्ति लगा रहे हैं । मैं इसकी कल्पना भी नहीं कर सकता ।’’

उन्होंने कहा कि दिवंगत जेटली मूल रूप से नेता थे और संसद को उनकी यादों को संजोना चाहिये ।

उन्होंने कहा ,‘‘ नाकामी का जश्न स्मृति चिन्हों और पुतलों से नहीं मनाते । उन्हें भूल जाना होता है ।’’

बेदी ने कहा ,‘‘ आपके आसपास घिरे लोग आपको नहीं बतायेंगे कि लाडर्स पर डब्ल्यू जी ग्रेस, ओवल पर सर जैक हॉब्स, सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर सर डॉन ब्रैडमेन, बारबाडोस में सर गैरी सोबर्स और मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर शेन वार्न की प्रतिमायें लगी है । ’’

उन्होंने कहा ,‘‘ खेल के मैदान पर खेलों से जुड़े रोल मॉडल रहने चाहिये । प्रशासकों की जगह शीशे के उनके केबिन में ही है । डीडीसीए इस वैश्विक संस्कृति को नहीं समझता तो मैं इससे परे रहना ही ठीक समझता हूं । मैं ऐसे स्टेडियम का हिस्सा नहीं रहना चाहता जिसकी प्राथमिकतायें ही गलत हो । जहां प्रशासकों को क्रिकेटरों से ऊपर रखा जाता हो । कृपया मेरा नाम तुरंत प्रभाव से हटा दें ।’’

भाषा नमिता सुधीर

सुधीर

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)