बायो बबल में क्रिकेट पर बात करने और एक दूसरे को समझने का मौका मिला : शास्त्री

बायो बबल में क्रिकेट पर बात करने और एक दूसरे को समझने का मौका मिला : शास्त्री

बायो बबल में क्रिकेट पर बात करने और एक दूसरे को समझने का मौका मिला : शास्त्री
Modified Date: November 29, 2022 / 09:01 pm IST
Published Date: March 7, 2021 10:03 am IST

अहमदाबाद, सात मार्च (भाषा) भारतीय कोच रवि शास्त्री ने जैव सुरक्षित वातावरण (बायो बबल) में रहने के सकारात्मक पक्षों पर गौर करते हुए रविवार को यहां कहा कि इस कारण पिछले कुछ महीनों में खिलाड़ियों के बीच आपसी रिश्ते प्रगाढ़ हुए और इस बीच उनकी बातचीत क्रिकेट के इर्द गिर्द घूमती रही जिससे टीम को फायदा मिला।

खिलाड़ी पिछले साल इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) से ही जैव सुरक्षित वातावरण में हैं। इसके बाद टीम आस्ट्रेलिया दौरे पर गयी और अब इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू श्रृंखला खेल रही है।

शास्त्री ने भारत की इंग्लैंड पर टेस्ट श्रृंखला में 3-1 से जीत और विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में प्रवेश करने के एक दिन बाद वर्चुअल संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘कोई विकल्प नहीं है। खिलाड़ियों को एक सीमित स्थान में रहना पड़ रहा है। वे बाहर नहीं जा सकते, वे किसी से नहीं मिल सकते और अब भी ऐसा है। ’’

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उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए अगर आप अपने कमरे से बाहर जाना चाहते हो तो टीम क्षेत्र में जाओ जहां आप अन्य खिलाड़ियों से मिल सकते हो। इससे खिलाड़ी खेलने के बाद अक्सर एक दूसरे से मिलते रहते हैं।’’

मुख्य कोच ने कहा, ‘‘और जब आप नियमित तौर पर मिलते हो तो खेल को लेकर भी बात होगी जैसा कि हमारे समय में हुआ करती थी। जैसे कि आप मैच के बाद अब भी ड्रेसिंग रूम में बैठे हो और क्रिकेट पर बात कर रहे हो।’’

शास्त्री ने कहा कि बायो बबल के कारण खिलाड़ियों को एक दूसरे को अच्छी तरह से समझने में मदद मिली और उन्होंने अपने निजी मसलों पर भी बात की।

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए सबसे अच्छी बात यह रही कि टीम के सदस्यों ने आपस में क्रिकेट पर बात की। उनके पास कोई विकल्प नहीं था और इसलिए उन्हें ऐसा करने के लिये मजबूर होना पड़ा और इससे बहुत मदद मिली।’’

शास्त्री ने कहा कि क्रिकेट पर बात करने से खिलाड़ियों को एक दूसरे को अच्छी तरह से समझने में मदद मिली।

उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें एक दूसरे की पृष्ठभूमि, मानसिक स्थिति, उनके रहने के स्थान, उनके जीवन के बारे में समझने का मौका मिला। ’’

भाषा पंत नमिता

नमिता


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