बेखौफ और निस्वार्थ बल्लेबाजी से उदाहरण बनाने वाले कप्तान रोहित विश्व कप खिताब से एक जीत दूर |

बेखौफ और निस्वार्थ बल्लेबाजी से उदाहरण बनाने वाले कप्तान रोहित विश्व कप खिताब से एक जीत दूर

बेखौफ और निस्वार्थ बल्लेबाजी से उदाहरण बनाने वाले कप्तान रोहित विश्व कप खिताब से एक जीत दूर

:   Modified Date:  November 16, 2023 / 07:28 PM IST, Published Date : November 16, 2023/7:28 pm IST

नयी दिल्ली, 16 नवंबर (भाषा) विश्व कप में अपनी बेखौफ और निस्वार्थ बल्लेबाजी से प्रतिद्वंद्वी टीम के गेंदबाजों पर दबाव बना टीम को शानदार शुरुआत दिलाने वाले भारतीय कप्तान रोहित शर्मा इस वैश्विक खिताब से बस एक जीत दूर है।

रोहित इस विश्व कप में कम से कम पांच बार शतक पूरा करने से चूक गये लेकिन उन्होंने अपने सकारात्मक रवैये से देश के करोड़ों क्रिकेट प्रशंसकों का दिल जीत लिया।

रोहित टीम के हित में व्यक्तिगत उपलब्धियों को नजरअंदाज कर जोखिम उठा कर बल्लेबाजी कर रहे हैं। रोहित 19 नवंबर को खेले जाने वाले विश्व कप फाइनल के दिन 36 साल और 203 दिन के हो जायेगे। इस बात की प्रबल संभावना है कि यह उनका आखिरी विश्व कप होगा क्योंकि अगला विश्व कप 2027 में होगा तब तक रोहित की उम्र 40 साल से अधिक हो जायेगी।

रोहित के 16 साल से अधिक के उतार-चढाव से भरे क्रिकेट करियर में 19 नवंबर का दिन सबसे अहम होगा।

रोहित ने एशिया कप से पहले ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा था, ‘‘ मैं अगले दो महीने में इस टीम के साथ कई यादगार उपलब्धि हासिल करना चाहता हूं।’’

रोहित के रवैये में यह बदलाव हालांकि पिछले साल ही शुरू हो गया था।

नासिर हुसैन ने स्काई स्पोर्ट्स में अपनी बातचीत के दौरान बताया कि पिछले टी20 विश्व कप के सेमीफाइनल में चैंपियन इंग्लैंड के हाथों हार के बाद भारतीय कप्तान ने दिनेश कार्तिक से क्या कहा था।

रोहित ने उस टीम का हिस्सा रहे कार्तिक से कहा था, ‘‘हमें अपना दृष्टिकोण बदलने की जरूरत है।’’

दृष्टिकोण में बदलाव हमेशा मानसिकता में बदलाव का परिणाम होता है और जब कप्तान अपनी बात पर अमल करता है, तो दूसरों के लिए उसका अनुसरण करना बहुत आसान हो जाता है।

 रोहित जब पहली बार पूर्णकालिक कप्तान बने, तो उन्होंने अपने शुरुआती प्रेसकांफ्रेंस में बहुत ही प्रासंगिक बात कही थी।

रोहित ने तब कहा था, ‘‘मैं किसी को भी ऐसा कुछ करने के लिए नहीं कहूंगा जो मैं खुद नहीं कर सकता हूं।’’

रोहित के बचपन के कोच दिनेश लाड ने कहा कि उनका शिष्य बचपन से ऐसा ही है।

उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे उनके अंडर-19 दिनों की एक घटना याद है। हम सब कहीं खड़े थे और सड़क के दूसरी तरफ ये चमचमाती मर्सिडीज खड़ी थी। रोहित ने इसे कुछ देर तक देखा और कहा, ‘ये मैं एक दिन खरीदूंगा’।’’

उन्होंने बताया, ‘‘ मैंने रोहित से कहा, ‘रोहित क्या पागल हो गया है तू, अभी कुछ खेला ही नही हैं तूने’। ’’

उन्हें इस बात का जरा भी अहसास नहीं था कि यह कोई औसतन 17 साल का बच्चा नहीं है। तीन साल से भी कम समय में टी20 विश्व कप जीत के बाद उनके गैराज में एक लग्जरी कार थी। लाड स्वयं स्वीकार करते हैं कि उन्हें कभी एहसास नहीं हुआ कि उनका शिष्य इतना शानदार और आत्मविश्वास से भरा खिलाड़ी है।

लाड ने कहा, ‘‘जब वह अपनी स्कूल टीम की कप्तानी करते थे तब भी वह हमेशा निस्वार्थ रहे थे। आज आप जो देख रहे हैं वह कोई रातों रात नहीं हुआ है। अपनी उपलब्धियों को तवज्जो ना देकर टीम के लिए भूमिका निभाना उनकी विशेषता रही है।’’

लाड ने कहा कि 2007 टी20 विश्व कप की शुरुआती ऊंचाई और साल के आखिर में ऑस्ट्रेलिया में सीबी सीरीज के बाद रोहित के लिए साल 2009 और 2011 के बीच का समय काफी चुनौतीपूर्ण रहा था। इसमें उन्हें सबसे ज्यादा निराशा 2011 विश्व कप टीम में जगह बनाने से चूकने की हुई थी।

लाड ने बताया, ‘‘ मुझे याद है कि उन्होंने मुझसे कहा था, ‘सर, आपको कोई शिकायत नहीं होगी कि मैं कड़ी मेहनत नहीं करता हूं। मैं अपने खेल पर बहुत समय दूंगा’, उन्होंने वादा किया था। और आप कह सकते हैं, उन्होंने अपना वादा निभाया है।’’

रोहित को टीम के जूनियर खिलाड़ियों से भी दोस्ती के लिए जाना जाता है। वह अगर किसी खिलाड़ी की प्रतिभा पर उन्हें भरोसा होता है तो वह खिलाड़ी का पूरा साथ देते है।

न्यूजीलैंड के खिलाफ सेमीफाइनल में ताबड़तोड़ शतकीय पारी खेलने वाले श्रेयस अय्यर ने प्रसारकों से कहा, ‘‘ मैं दबाव में था लेकिन कप्तान का मुझ पर भरोसा होना बहुत जरूरी था। उन्होंने मुझसे कहा कि हमें (प्रबंधन को) आप पर भरोसा है और जो कुछ भी कहा जा रहा है वह बाहरी शोर है।’’

रोहित ने अपनी कप्तानी से टीम के लिए काफी कुछ किया अब यह टीम की जिम्मेदारी है कि वह अपने कप्तान के लिए विश्व कप जीतकर उनके चेहरे पर मुस्कान बिखेरे।

भाषा आनन्द नमिता

नमिता

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)