(सौमोज्योति एस चौधरी)
चेन्नई, दो दिसंबर (भाषा) स्विटजरलैंड और न्यूजीलैंड जैसे देशों में फील्ड हॉकी ऐसा खेल है जिसमें जूनियर खिलाड़ी मूल रूप से लोगों के सहयोग से पैसा एकत्र करने (क्राउडफंडिंग) और माता पिता के सहयोग पर निर्भर करते हैं ।
जूनियर कार्यक्रमों के लिये सरकार से कोई सहयोग नहीं मिलने या नाममात्र के सहयोग के कारण अंडर 21 स्विस और कीवी खिलाड़ियों को चेन्नई और मदुरै में चल रहे एफआईएच जूनियर विश्व कप में भागीदारी के लिये खुद पैसे जुटाने पड़े ।
स्विटजरलैंड के मुख्य कोच जेर लेवी ने पीटीआई से कहा ,‘‘ स्विटजरलैंड में हॉकी को बढावा देने के लिये हम हरसंभव प्रयास करते हैं क्योंकि वहां आइस हॉकी अधिक लोकप्रिय है ।’’
उन्होंने कहा ,‘‘ हॉकी वहां अमेच्योर खेल है जिसमे खिलाड़ियों को टूर्नामेंट खेलने के लिये खुद पैसा देना होता है । उन्हे लोगों से पैसा जुटाना होता है, यूनिवर्सिटी छोड़नी पड़ती है और काम करना पड़ता है । हॉकी से प्रेम के लिये वह यह सब करते हैं ।’’
उन्होंने कहा ,‘‘ महासंघ और सरकार बहुत कम पैसा देते हैं । हमें अधिक टेस्ट खेलने के लिये अधिक फंडिंग की जरूरत है । हमें तैयारी के लिये अधिक मैच खेलने चाहिये लेकिन उसके लिये और पैसा चाहिये ।’’
पूल बी में दोनों मैच जीतकर स्विटजरलैंड भारत के साथ शीर्ष पर है ।
टूर्नामेंट में अभी तक सात गोल कर चुके न्यूजीलैंड के स्ट्राइकर जोंटी एल्मेस ने कहा ,‘‘ हमारे यहां सभी अंडर 21 कार्यक्रमों में पैसा खुद जुटाना होता है जो आम तौर पर माता पिता देते हैं । हम अलग अलग फोरम पर जाकर पैसा मांगते हैं ।’’
उन्होंने कहा ,‘‘ कई लड़कों के लिये यह काफी कठिन है लेकिन माता पिता को श्रेय जाता है जो काफी मेहनत करके उनके सपने को जिंदा रखते हैं । हमे जूनियर कार्यक्रमों के लिये सरकार से कोई पैसा नहीं मिलता है ।’’
भारत और आस्ट्रेलिया जैसे देशों में सभी अंडर 21 कार्यक्रमों को सरकार से आर्थिक मदद मिलती है ।
भाषा मोना
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