वर्तमान स्थिति से चल रहा संचालन अस्थिर होने का जोखिम: आईएसएल क्लबों ने एआईएफएफ से कहा

वर्तमान स्थिति से चल रहा संचालन अस्थिर होने का जोखिम: आईएसएल क्लबों ने एआईएफएफ से कहा

वर्तमान स्थिति से चल रहा संचालन अस्थिर होने का जोखिम: आईएसएल क्लबों ने एआईएफएफ से कहा
Modified Date: December 5, 2025 / 05:53 pm IST
Published Date: December 5, 2025 5:53 pm IST

नयी दिल्ली, पांच दिसंबर (भाषा) इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) के 12 क्लबों ने बृहस्पतिवार को अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) से घरेलू फुटबॉल में चल रहे संकट को बिना किसी और देरी के सुलझाने का आग्रह किया और कहा कि वर्तमान स्थिति उनके ‘ मौजूदा संचालन को अस्थिर करने का जोखिम’ पैदा कर रही है।

एआईएफएफ और उसके वाणिज्यिक भागीदार ‘फुटबॉल स्पोर्ट्स डेवलपमेंट लिमिटेड’ (एफएसडीएल – आईएसएल का आयोजक रहा) के बीच ‘मार्केटिंग राइट्स एग्रीमेंट’ (एमआरए) आठ दिसंबर को समाप्त हो रहा है। इसके बाद शीर्ष स्तरीय लीग किसी भी वाणिज्यिक ढांचे के बिना रह जाएगी।

क्लबों ने एआईएफएफ अध्यक्ष कल्याण चौबे को लिखे पत्र में कहा, ‘‘हालांकि अधिकांश क्लबों ने खिलाड़ियों और स्टाफ को वेतन और अनुबंधित देनदारियों का भुगतान जारी रखा है। लेकिन वर्तमान स्थिति केवल चुनौतीपूर्ण ही नहीं है बल्कि यह वाणिज्यिक असंभवता के करीब पहुंच रही है और मौजूदा संचालन को अस्थिर करने का जोखिम पैदा कर रही है। ’’

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ये 12 आईएसएल क्लब एफसी गोवा, स्पोर्टिंग क्लब दिल्ली, नॉर्थईस्ट यूनाइटेड एफसी, जमशेदपुर एफसी, बेंगलुरु एफसी, मोहन बागान सुपर जायंट, चेन्नईयिन एफसी, मुंबई सिटी एफसी, केरला ब्लास्टर्स, पंजाब एफसी, ओडिशा एफसी और मोहम्मडन स्पोर्टिंग हैं। इंटर काशी भी इस पहल में शामिल था जिसने आई लीग जीती और आगामी सत्र के लिए आईएसएल में पदोन्नत हुआ।

इसमें कहा गया, ‘‘लगभग 11 वर्षों से आईएसएल क्लबों ने लीग सरंचना और केंद्रीय राजस्व के आधार पर भारत में फुटबॉल में लगातार भारी निवेश किया है, भले ही उन्हें लगातार नुकसान उठाना पड़ा हो। यही राजस्व क्लबों के लिए वेतन, ढांचे और खेल संचालन का प्रबंधन करने का प्रमुख स्रोत रही है। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन अब एमआरए के खत्म होने और एक व्यावसायिक भागीदार नहीं होने से केंद्रीय राजस्व पूरी तरह बंद हो गया है। इस अनिश्चितता के कारण स्थानीय प्रायोजकों ने भी व्यावसायिक प्रतिबद्धता रोक दी है जिससे क्लबों के पास कोई राशि नहीं बची है। ’’

भाषा नमिता आनन्द

आनन्द


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