अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिये मजबूर होना पड़ा : मनिका
अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिये मजबूर होना पड़ा : मनिका
नयी दिल्ली, 11 फरवरी (भाषा) राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता मनिका बत्रा ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत किया जिसने भारतीय टेबल टेनिस महासंघ (टीटीएफआई) को उनकी याचिका पर निलंबित कर दिया।
मनिका ने कहा कि टीटीएफआई के बुरे बर्ताव के कारण उन्हें कानूनी रास्ता अपनाना पड़ा।
हाल में विश्व रैंकिंग में शीर्ष 50 में जगह बनाने वाली मनिका ने एक बयान में कहा, ‘‘मुझे भारतीय न्यायपालिका पर पूरा भरोसा था। मैंने अपने देश को गौरवान्वित करने के लिये अपनी जिंदगी खेलों के लिये समर्पित कर दी। मैं भारत सरकार, मेरा समर्थन करने वाले प्रत्येक व्यक्ति की और मुझे जो समर्थन मिला, उसके लिये अपने देश के लोगों की आभारी हूं। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिये मजबूर होना पड़ा क्योंकि मेरे पास कोई अन्य विकल्प नहीं बचा था चूंकि मुझ पर अत्यधिक दबाव बनाया गया और बुरा बर्ताव किया गया था जिससे मैं मानसिक रूप से बहुत परेशान थी। ’’
मनिका ने कहा, ‘‘तोक्यो ओलंपिक से बिलकुल पहले ही मुझे इस तरह की मुश्किल परिस्थिति का सामना करना पड़ा। इसका ओलंपिक में मेरे खेल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। मेरा इरादा सिर्फ खुद के लिये और भारत के सभी मेहनत करने वाले खिलाड़ियों के लिये सुरक्षा हासिल करना था जिन्हें देश के लिये खेलने और प्रदर्शन करने की अनुमति दी जानी चाहिए। ’’
बत्रा को पिछले साल एशियाई टेबल टेनिस चैंपियनशिप के लिये भारतीय टीम में नहीं चुना गया था। उन्होंने राष्ट्रीय कोच सौम्यदीप रॉय पर अपनी एक निजी प्रशिक्षु के हाथों ओलंपिक क्वालीफायर मैच गंवाने के लिये दबाव बनाने का आरोप लगाया था।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरा जीवन में सिर्फ एकमात्र लक्ष्य है और वो भारत को खेलों में गौरवान्वित करना। खेल मंत्रालय और भारतीय खेल प्राधिकरण हमेशा खिलाड़ियों की मदद के लिये आगे रहते हैं और हमारे देश में खेल प्रगति कर रहा है। ’’
भाषा नमिता पंत
पंत

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