‘मैदान’ क्रिकेट की सीख ने वैश्विक मंच पर कोचिंग में दिलाई सफलता: मजूमदार

‘मैदान’ क्रिकेट की सीख ने वैश्विक मंच पर कोचिंग में दिलाई सफलता: मजूमदार

‘मैदान’ क्रिकेट की सीख ने वैश्विक मंच पर कोचिंग में दिलाई सफलता: मजूमदार
Modified Date: December 15, 2025 / 10:39 pm IST
Published Date: December 15, 2025 10:39 pm IST

मुंबई, 15 दिसंबर (भाषा) भारत की महिला वनडे विश्व कप विजेता टीम के कोच अमोल मजूमदार ने सोमवार को कहा कि मुंबई के लिए ‘मैदान’ क्रिकेट खेलने से लेकर रणजी ट्रॉफी तक के उनके अनुभवों ने उन्हें एक कोच के रूप में ढालने में मदद की है।

उन्होंने कहा कि इन अनुभवों से उन्हें राष्ट्रीय टीम में ‘खेल से जुड़े फैसले’ लेने से लेकर खिलाड़ियों के बीच जवाबदेही की भावना विकसित करने की सीख मिली है।

घरेलू क्रिकेट में शानदार रिकॉर्ड के बावजूद कभी भारत का प्रतिनिधित्व न कर पाने वाले मजूमदार ने पिछले महीने नवी मुंबई में भारतीय महिला टीम को उसका पहला वनडे विश्व कप खिताब दिलाकर अपने करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि हासिल की।

 ⁠

‘बॉम्बे जिमखाना’ में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा, ‘‘मैंने मुंबई में जिन-जिन कोच के अधीन खेला है उनसे मैंने कुछ न कुछ सीखा। हर कोच से मिली सीख को मैंने अपनाया है।’’

इस कार्यक्रम का आयोजन 1933 में इंग्लैंड के खिलाफ भारत के पहले घरेलू टेस्ट की 92 वीं वर्षगांठ मनाने के लिए किया गया था।

 मजूमदार ने कहा, ‘‘मैंने भारतीय महिला टीम में यह संस्कृति विकसित की है कि हर खिलाड़ी अपनी और टीम की प्रदर्शन के लिए खुद जवाबदेह हो। खिलाड़ी इसके लिए पूरी तरह जिम्मेदार हैं।’’

उन्होंने दोहराया कि लगातार तीन मैच हारने के बावजूद उन्हें कभी नहीं लगा कि भारत विश्व कप की दौड़ से बाहर हो गया है। इन सभी हार के दौरान इंग्लैंड के खिलाफ मैच में स्टार बल्लेबाज जेमिमा रोड्रिग्स को टीम से बाहर किया गया था।

जेमिमा ने शानदार वापसी करते हुए न्यूजीलैंड के खिलाफ करो या मरो  मुकाबले में नाबाद 76 रन बनाए और इसके बाद सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ नाबाद 127 रन की बेहतरीन पारी खेली।

मजूमदार ने जेमिमा को बाहर करने के फैसले को सबसे कठिन निर्णयों में से एक बताया था।

उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे कभी नहीं लगा कि हमारे पास कोई मौका नहीं बचा है। मुझे हमेशा भरोसा था कि हम इन तीन हार के बाद वापसी करेंगे।’’

उन्होंने खिलाड़ियों के चयन और बाहर करने को लेकर कहा, ‘‘मेरे लिए एक सरल नियम है, ‘अगर फैसला क्रिकेटिंग’ है, तो मैं उसे जरूर लूंगा। टीम हमेशा पहले आती है।’’

भाषा आनन्द सुधीर

सुधीर


लेखक के बारे में