तोक्यो ओलंपिक में भारत की सफलता की कुंजी होगी मानसिक दृढता : हॉकी कोच रीड

तोक्यो ओलंपिक में भारत की सफलता की कुंजी होगी मानसिक दृढता : हॉकी कोच रीड

तोक्यो ओलंपिक में भारत की सफलता की कुंजी होगी मानसिक दृढता : हॉकी कोच रीड
Modified Date: November 29, 2022 / 08:42 pm IST
Published Date: June 25, 2021 11:14 am IST

बेंगलुरू, 25 जून ( भाषा ) कोरोना महामारी के बीच भारतीय पुरूष हॉकी टीम की मानसिक दृढता के कायम कोच ग्राहम रीड ने कहा कि चार दशक बाद ओलंपिक में पदक जीतने की तैयारी में जुटी टीम के लिये तोक्यो में यह सफलता की कुंजी साबित हो सकती है ।

रीड ने यह भी कहा कि भारतीय खिलाड़ियों को अहसास ही नहीं है कि वे मानसिक रूप से कितने मजबूत हैं ।

भारत भुवनेश्वर में 2018 हॉकी विश्व कप के क्वार्टर फाइनल में पहुंचा था और इस साल हॉकी प्रो लीग में अच्छा प्रदर्शन किया ।

 ⁠

रीड ने एक आनलाइन प्रेस कांफ्रेंस में कहा ,‘‘ भारतीय खिलाड़ियों को पता ही नहीं है कि वे मानसिक रूप से कितने मजबूत हैं और हो सकते हैं । यह काफी अहम पहलू है । तोक्यो में यह काफी उपयोगी साबित होगा जब तकनीकी कौशल के साथ मानसिक मजबूती भी समान रूप से अहम होगी ।’’

उन्होंने कहा ,‘‘ एक कोच कभी संतुष्ट नहीं होता लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि हमारी तैयारी पुख्ता है । हम इसी मानसिकता के साथ तोक्यो जायेंगे ।’’

कोरोना महामारी के कारण भारतीय टीम बेंगलुरू स्थित साइ केंद्र पर ही रह गई थी । ऐसे में कोच ने हर खिलाड़ी के जीवन का 10 मिनट का वीडियो बनाया ताकि उन्हें बेहतर समझ सके ।

उन्होंने कहा ,‘‘ हमने हर खिलाड़ी का दस मिनट का वीडियो बनाया है जिसमें सिर्फ मैं और खिलाड़ी हैं । उन्होंने अपने जीवन की कहानी सुनाई और वह काफी दमदार है ।’’

उन्होंने कहा ,‘‘ इससे मुझे खिलाड़ियों को बेहतर समझने में मदद मिली । पिछले 15 महीने में हम एक दूसरे को बखूबी समझ पाये हैं । आम तौर पर इसका मौका नहीं मिलता ।’

एफआईएच रैंकिंग में चौथे स्थान पर काबिज भारत का सामना 24 जुलाई को न्यूजीलैंड से होगा । भारत के पूल में अर्जेंटीना, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, स्पेन और जापान हैं ।

भारत ने आखिरी बार ओलंपिक हॉकी में पदक 1980 में जीता था और रीड को यकीन है कि इस बार यह कमी पूरी हो जायेगी ।

उन्होंने कहा ,‘‘ हम खिलाड़ियों से लगातार यही कह रहे हैं कि 12 टीमें ओलंपिक में जायेंगी और पिछले दो साल में हम सभी को हरा चुके हैं । कनाडा से खेलने का मौका नहीं मिला । अगर हम अपनी क्षमता के अनुरूप खेल सके तो पदक जीत सकते हैं ।’’

भाषा

मोना नमिता

नमिता


लेखक के बारे में