डब्ल्यूएफआई का निलंबन वापस नहीं लेना पहलवानों के साथ अन्याय होता: मांडविया

डब्ल्यूएफआई का निलंबन वापस नहीं लेना पहलवानों के साथ अन्याय होता: मांडविया

डब्ल्यूएफआई का निलंबन वापस नहीं लेना पहलवानों के साथ अन्याय होता: मांडविया
Modified Date: March 11, 2025 / 06:34 pm IST
Published Date: March 11, 2025 6:34 pm IST

नयी दिल्ली, 11 मार्च (भाषा) खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने मंगलवार को इस बात पर जोर दिया कि भारतीय पहलवानों को आगामी टूर्नामेंटों में भाग लेने की अनुमति देने के लिए भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) का निलंबन रद्द करना आवश्यक था और ऐसा नहीं करना खिलाड़ियों के साथ अन्याय होता।

मंत्रालय ने डब्ल्यूएफआई पर से निलंबन हटा लिया है जिससे महीनों से चली आ रही अनिश्चितता का अंत हो गया है और अम्मान में आगामी एशियाई चैंपियनशिप के लिए चयन ट्रायल सहित गतिविधियों को फिर से शुरू करने का रास्ता साफ हो गया है।

मांडविया ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, डब्ल्यूएफआई को मान्यता देना आवश्यक था ताकि हम अपने पहलवानों को एशियाई चैंपियनशिप और विश्व चैंपियनशिप के लिए भेज सकें। वर्ना यह हमारे देश के पहलवानों के भविष्य के साथ अन्याय होता। ’’

 ⁠

मंत्रालय ने निलंबन हटाने के लिए कई शर्तों को रेखांकित किया जिसमें शासन सुधार, पारदर्शी चयन प्रक्रिया, सुशासन प्रथाएं और खिलाड़ियों का कल्याण शामिल हैं।

मंत्रालय ने मीडिया के साथ साझा किए गए एक नोट में कहा, ‘डब्ल्यूएफआई को अपने निलंबन के दौरान किए गए सभी संशोधनों को वापस लेना चाहिए और चार सप्ताह के भीतर निर्णय लेने में जांच और संतुलन सुनिश्चित करना चाहिए। ’’

इसमें यह भी कहा गया है कि ‘किसी भी गैर-निर्वाचित व्यक्ति, निलंबित या बर्खास्त अधिकारियों’ को डब्ल्यूएफआई से पूरी तरह से अलग कर दिया जाना चाहिए और कार्यकारी समिति को चार सप्ताह के भीतर एक वचनबद्धता प्रस्तुत करनी चाहिए।

चयन प्रक्रिया पर मंत्रालय ने जोर देकर कहा कि ‘‘डब्ल्यूएफआई को खेल संहिता और यूडब्ल्यूडब्ल्यू (कुश्त की अंतरराष्ट्रीय संस्था) नियमों का पालन करते हुए सभी अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट के लिए पहलवानों का निष्पक्ष और पारदर्शी चयन सुनिश्चित करना चाहिए। डब्ल्यूएफआई को खेल प्रशासन सिद्धांतों, नैतिक मानकों और एथलीट सुरक्षा नीतियों का सख्ती से पालन करना चाहिए। ’’

भाषा नमिता सुधीर

सुधीर


लेखक के बारे में