वजन बनाए रखने की जिम्मेदारी खिलाड़ी की, दूसरे दिन वजन में विफल होना काफी कठोर: खेल पंचाट

वजन बनाए रखने की जिम्मेदारी खिलाड़ी की, दूसरे दिन वजन में विफल होना काफी कठोर: खेल पंचाट

वजन बनाए रखने की जिम्मेदारी खिलाड़ी की, दूसरे दिन वजन में विफल होना काफी कठोर: खेल पंचाट
Modified Date: August 19, 2024 / 10:40 pm IST
Published Date: August 19, 2024 10:40 pm IST

नयी दिल्ली, 19 अगस्त (भाषा)  पेरिस ओलंपिक में फाइनल से अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ पहलवान विनेश फोगाट की अपील पर खेल पंचाट (सीएएस) ने कहा कि खिलाड़ियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे अपने वजन की सीमा के अंदर रहें और इस तरह के मामले में किसी भी परिस्थिति में कोई अपवाद प्रदान नहीं किया जा सकता है।

पंचाट ने हालांकि माना कि स्पर्धा के दूसरे दिन वजन में विफल होना किसी खिलाड़ी के लिए काफी कठोर है।

प्रतियोगिता के दूसरे दिन विनेश को वजन अधिक होने के कारण अयोग्य करार दिया गया था। विनेश 50 किग्रा वर्ग में चुनौती पेश कर रही थी। आठ अगस्त को फाइनल मुकाबले के दिन उनका वजन 100 ग्राम अधिक पाया गया, जिसके बाद उन्हें अयोग्य कर दिया गया था।

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यूडब्ल्यूडब्ल्यू (कुश्ती के वैश्विक संचालक) के नियमों के मुताबिक रैंकिंग सीरीज जैसी कुछ स्पर्धाओं में दो किलो वजन की छूट दी जाती है लेकिन ओलंपिक में ऐसी कोई छूट नहीं है।

विनेश ओलंपिक फाइनल के लिए क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बन गई थीं लेकिन उनकी अयोग्यता ने कुश्ती जगत में हलचल मचा दी थी। जापान की महान पहलवान युई सुसाकी पर उनकी शानदार जीत के बाद विनेश को स्वर्ण पदक का दावेदार माना जा रहा था। सुसाकी इससे पहले अंतरराष्ट्रीय करियर में एक भी मुकाबला नहीं हारी थी।

खेल पंचाट की ओर से सोमवार को जारी विस्तृत आदेश के मुताबिक, ‘‘ इस मामले की सुनवाई करने वाली एकल पीठ ने निष्कर्ष निकाला है कि आवेदक ने अपनी मर्जी से 50 किलोग्राम कुश्ती वर्ग में प्रवेश किया था और वह अच्छी तरह से जानती थी कि प्रतियोगिता के लिए उसे 50 किलोग्राम से कम वजन बनाए रखना होगा।’’

इसके मुताबिक, ‘‘नियमों के अनुच्छेद सात में यह स्पष्ट है कि प्रत्येक प्रतियोगी को अपनी स्वतंत्र इच्छा से भाग लेने वाला माना जाता है और वह स्वयं के लिए जिम्मेदार है। वह केवल एक भार वर्ग में प्रतिस्पर्धा करने का हकदार है, जो कि उस समय के वजन के अनुरूप है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आवेदक एक अनुभवी पहलवान है जिसने पहले नियमों के तहत प्रतिस्पर्धा की थी। इस बात का कोई सबूत नहीं है कि वह वजन संबंधी आवश्यकताओं को नहीं समझती थी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘उसने स्वेच्छा से 50 किलोग्राम वर्ग में प्रवेश किया और उस वजन सीमा को बनाये रखने का एक नियम है।’’

सीएएस के तदर्थ पैनल ने 14 अगस्त को 100 ग्राम अधिक वजन के कारण फाइनल से अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ उनकी अपील को खारिज कर दिया था, इस फैसले पर भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी।

सीएएस के मुताबिक, ‘‘ खिलाड़ी के लिए समस्या यह है कि वजन सीमा के संबंध में नियम स्पष्ट हैं और सभी प्रतिभागियों के लिए समान हैं। इसके लिए (ऊपरी सीमा) कोई छूट प्रदान नहीं की गई है। यह स्पष्ट रूप से खिलाड़ी की जिम्मेदारी है कि वह उस सीमा से नीचे रहे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसमें कोई विवाद नहीं है कि आवेदक का वजन सीमा से अधिक था। उसका मामला यह है कि उसका वजन मात्र 100 ग्राम अधिक था और इसकी छूट मिलनी चाहिये क्योंकि ऐसा पानी पीने और विशेष रूप से मासिक धर्म से पहले के चरण के दौरान हो जाता है।’’।

उनकी अपील पर निर्णय तीन बार स्थगन के बाद सुनाया गया।

अपनी अपील में विनेश ने मांग की थी कि उन्हें क्यूबा की पहलवान युसनेलिस गुजमैन लोपेज के साथ संयुक्त रजत पदक दिया जाए, जो सेमीफाइनल में उनसे हार गयी थी। भारत की 29 साल की खिलाड़ी के अयोग्य होने के बाद क्यूबा की पहलवान को फाइनल में खेलने का मौका मिला था। इस स्पर्धा का स्वर्ण अमेरिकी सारा एन हिल्डेब्रांट ने जीता था।

विनेश का रविवार को भारत पहुंचने पर नायकों की तरह स्वागत किया गया था।

भाषा आनन्द सुधीर

सुधीर


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