रवि ने एशियाई खिताब बरकरार रखा, बजरंग को चोट के कारण रजत से संतोष करना पड़ा

रवि ने एशियाई खिताब बरकरार रखा, बजरंग को चोट के कारण रजत से संतोष करना पड़ा

रवि ने एशियाई खिताब बरकरार रखा, बजरंग को चोट के कारण रजत से संतोष करना पड़ा
Modified Date: November 29, 2022 / 07:55 pm IST
Published Date: April 17, 2021 4:29 pm IST

अलमाटी, 17 अप्रैल (भाषा) भारतीय पहलवान रवि कुमार दहिया ने मजबूत प्रदर्शन से अपना एशियाई चैम्पिनशिप खिताब बरकरार रखा लेकिन बजरंग पूनिया को कोहनी की चोट के कारण शनिवार को ताकुतो ओटोगुरो के खिलाफ फाइनल से हटने के कारण रजत पदक से संतोष करना पड़ा।

बजरंग ने पीटीआई से कहा कि वह अपनी दायीं कोहनी की चोट को बढ़ाना नहीं चाहते थे। उन्होंने कहा कि उन्हें कोरिया के योंगसियोक जियोंग के खिलाफ क्वार्टरफाइनल के दौरान दर्द होना महसूस हुआ था।

उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं कोरियाई पहलवान को खींच रहा था तो मेरी कोहनी में दर्द होने लगा था। विश्व चैम्पियनशिप के दौरान मुझे इसी कोहनी में चोट लगी थी। कोचों ने सलाह दी कि मुझे जोखिम नहीं लेना चाहिए क्योंकि ओलंपिक करीब हैं इसलिये मैंने हटने का फैसला किया। ’’

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साथ ही नरसिंह पंचम यादव (79 किग्रा), करण (70 किग्रा) और सत्यव्रत कादियान (97 किग्रा) ने भी पोडियम स्थान हासिल करते हुए कांस्य पदक अपने नाम किये। इससे शनिवार को प्रतियोगिता में हिस्सा ले रहे सभी पांचों पहलवानों ने पदक जीते।

यह यादव का पांच साल में पहला अंतरराष्ट्रीय पदक था क्योंकि उन्होंने अंतिम पदक जुलाई 2015 में स्पेन में ग्रां प्री में जीता था। वह हाल में चार साल के डोपिंग प्रतिबंध को पूरा करने के बाद वापसी कर रहे हैं।

यादव ने कांस्य पदक के प्लेऑफ में इराक के अहमद मोहसिन कादहिम को 8-2 से आसानी से शिकस्त दी। वहीं कादियान ने कोरिया के मिनवोन सियो को 5-2 से हराकर कांसा जीता।

बजरंग को 65 किग्रा भार वर्ग के शुरुआती मुकाबले में कोरिया के योंगसियोग जियोंग पर जीत दर्ज करने में कोई परेशानी नहीं हुई। इसके बाद उन्होंने मंगोलिया के बिलगुन सरमानदाख को हराकर फाइनल में प्रवेश किया।

बजरंग 2018 विश्व चैम्पियनशिप के खिताबी मुकाबल में और पिछले साल एशियाई चैम्पियनशिप के फाइनल में ओटोगुरो से हार चुके हैं। फाइनल में वह जापानी पहलवान के खिलाफ खुद के प्रदर्शन को देख सकते थे लेकिन उनके हटने से ऐसा नहीं हो सका।

रवि दहिया ने हालांकि शानदार प्रदर्शन से इस चरण में भारत को पहला फ्रीस्टाइल स्वर्ण पदक दिलाया। 57 किग्रा में प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ उनका स्टैमिना और आक्रामकता काफी अच्छी रही। एक वर्ष बाद मैट पर वापसी करने वाले इस पहलवान ने अंतिम टूर्नामेंट नयी दिल्ली में इसी प्रतियोगिता में खेला था जिसमें उन्होंने स्वर्ण पदक जीता था।

उन्होंने पहले दौर में उज्बेकिस्तान के नोदिरजोन सफरोव को 9-2 से हराया। इसके बाद उन्होंने फलस्तीन के अली एम एम अबुयमैला को हराकर फाइनल में जगह बनायी। उन्होंने फाइनल में ईरान के अलीरेजा नोसरातोलाह सरलॉक को 9-4 से हराकर पहला स्थान प्राप्त किया।

करण ने कोरिया के सेयुंगबोंग ली पर 3-1 की जीत से 70 किग्रा का कांस्य पदक अपने नाम किया। उन्होंने ईरान के अमीरहुसैन अली हुसैनी पर 3-1 की जीत से क्वार्टरफाइनल में प्रवेश किया था लेकिन अगला मुकाबला कजाखस्तान के सिरबाज तलगत से 0-6 से हार गये। वह रेपेचेज के जरिये पदक दौर में पहुंचे।

कादियान ने किर्गीस्तान के अर्सलानबेक तुरदुबेकोव को 8-0 से हराकर क्वार्टर फाइनल में प्रवेश किया और फिर उज्बेकिस्तान के मुखमादरासुल रखिमोव को 4-1 से पराजित किया लेकिन सेमीफाइनल में वह ईरान के अली खालिल से हार गये।

भाषा नमिता आनन्द

आनन्द


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