सताद्रु दत्ता: खेल आयोजनों के शिल्पकार का भविष्य अनिश्चित

सताद्रु दत्ता: खेल आयोजनों के शिल्पकार का भविष्य अनिश्चित

सताद्रु दत्ता: खेल आयोजनों के शिल्पकार का भविष्य अनिश्चित
Modified Date: December 13, 2025 / 09:44 pm IST
Published Date: December 13, 2025 9:44 pm IST

कोलकाता, 13 दिसंबर (भाषा) पश्चिम बंगाल के औद्योगिक कस्बे रिसड़ा में एक साधारण पृष्ठभूमि से निकलकर कोलकाता के सबसे बड़े वैश्विक फुटबॉल कार्यक्रमों के शीर्ष प्रमोटर में शामिल होने तक सताद्रु दत्ता का सफर काफी तेज और महत्वाकांक्षी रहा। लेकिन शनिवार को इस यात्रा को एक नाटकीय झटका लगा।

सॉल्ट लेक स्टेडियम में ‘जीओएटी’ भारत दौरे के मेस्सी के पहले चरण में अफरा-तफरी के कुछ ही घंटों बाद कार्यक्रम के एकमात्र आयोजक दत्ता को हवाई अड्डे पर गिरफ्तार कर लिया गया जब वह हैदराबाद चरण के लिए जा रहे थे।

इस अव्यवस्था की वजह से वह मीडिया की सुर्खियों में आ गए और भारतीय फुटबॉल का मक्का माने जाने वाले कोलकाता को विश्व स्तर पर शर्मिंदा कर दिया है।

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कॉमर्स के स्नातक दत्ता ने अपने पेशेवर करियर की शुरुआत इन्वेस्टमार्ट में काम से की जिसे बाद में आईएल एवं एफएस सिक्योरिटीज के नाम से जाना गया।

लेकिन खेल विशेषकर फुटबॉल उनकी पहचान का मुख्य हिस्सा बना रहा। 2011 में जब मेस्सी पहली बार शहर में वेनेजुएला के खिलाफ एक फीफा मैत्री मैच में अर्जेंटीना की अगुआई के लिए आए तो दत्ता ने खेल प्रमोशन में आने के लिए कॉर्पोरेट फाइनेंस छोड़ दिया।

चौदह साल पहले उस मैच और 2008 में डिएगो माराडोना की पिछली यात्रा ने खेल कार्यक्रम के मैनेजर की एक नई पीढ़ी को प्रेरित करने में मदद की।

दत्ता ने धीरे-धीरे अपना रास्ता बनाया और इसी तरह ‘ए सताद्रु दत्ता इनिशिएटिव’ (एएसडीआई) अस्तित्व में आया। इस शुरूआत को 2015 में सफलता मिली जब वह तीन बार के विश्व कप विजेता पेले को 1977 के बाद पहली बार कोलकाता लेकर आए।

कूल्हे की सर्जरी के बावजूद ब्राजीलियाई दिग्गज ने इंडियन सुपर लीग मैच में भाग लिया, जमीनीं स्तर पर होने वाले टूर्नामेंट का दौरा किया और इस दौरान प्रमुख खेल हस्तियों से मुलाकात की।

दत्ता ने 2017 में माराडोना की कोलकाता की दूसरी यात्रा का आयोजन करके वह कर दिखाया जिसे कई लोग उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि मानते हैं।

अर्जेंटीना के खिलाड़ी को मैनेज करना चुनौतीपूर्ण था लेकिन इस यात्रा में कई यादगार पल आए जिसमें माराडोना की भारत के पूर्व क्रिकेट कप्तान सौरव गांगुली से मुलाकात भी शामिल थी।

दत्ता ने इसे याद करते हुए कहा था, ‘‘मैं बहुत नर्वस था क्योंकि माराडोना का मूड कैसा होगा, आपको नहीं पता। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘शुक्र है, उस दिन वह खुश थे। उन्होंने दादा को बार-बार गले लगाया। ’’

उस मुलाकात ने दत्ता की छवि को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में मजबूत किया जो फुटबॉल और क्रिकेट, प्रशंसकों और पेशेवरपन के बीच पुल का काम कर सकता है।

गांगुली के साथ उनका रिश्ता समय के साथ और गहरा होता गया। गांगुली की आत्मकथा ‘ए सेंचुरी इज नॉट इनफ’ के लांच का आयोजन करना और क्रिकेट दिग्गज के 50वें जन्मदिन के जश्न के दौरान कोलकाता में लॉर्ड्स पवेलियन को फिर से बनाना शामिल था।

उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं दादा के आसपास होता हूं तो मैं लगातार प्रेरित होता हूं। ’’

फिर एएसडीआई ने इसके बाद काफू (2022), रोनाल्डिन्हो (2023) और अर्जेंटीना के 2022 विश्व कप विजेता गोलकीपर एमिलियानो ‘डिबूद्ध मार्टिनेज की यात्राओं का आयोजन किया जो दत्ता के परिवार से मिलने के लिए उनके रिसड़ा स्थित घर भी गए थे।

माराडोना से प्रभावित होकर दत्ता ने अपने बेटे का नाम डिएगो रखा और उसकी फुटबॉल ट्रेनिंग में भारी निवेश किया और अपने घर की छत पर एक पेशेवर स्तर की सुविधा बनाई।

लेकिन दत्ता के लिए शनिवार की घटना उन घटनाओं के बिल्कुल विपरीत थी जिन्हें उन्होंने पहले अंजाम दिया था।

मेस्सी के कार्यक्रम से पहले वह अक्सर सार्वजनिक रूप से कह रहे थे कि क्रिस्टियानो रोनाल्डो का दौरा उनका आखिरी काम होगा।

उन्होंने कहा कि वह रोनाल्डो को कोलकाता लाने के बाद अलविदा कह देंगे।

पर शनिवार की इस घटना के बाद बड़े खेल कार्यक्रम में उनका भविष्य अनिश्चित लग रहा है जबकि उन्हें सोशल मीडिया पर भारी ट्रोलिंग का भी सामना करना पड़ रहा है।

दत्ता ने लगातार कहा कि कि मेस्सी के कार्यक्रम की योजना लंबे और लगातार प्रयास का नतीजा थी।

उन्होंने एक फेसबुक पोस्ट में दावा किया था कि इसकी योजना में 993 दिन लगे जिसमें 317 उड़ानें शामिल थीं और महीनों तक काम करना पड़ा।

यह सब शनिवार को अराजकता में खत्म हो गया और आने वाले समय में संभावित कानूनी मुद्दों के कारण उनका व्यवसाय और प्रतिष्ठा खतरे में पड़ गई है।

भाषा नमिता

नमिता


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