पद्मश्री के लिए चुने जाने से हैरान हूं, जीवन के सबसे बड़े लम्हों में से एक: धाविका सुधा सिंह

पद्मश्री के लिए चुने जाने से हैरान हूं, जीवन के सबसे बड़े लम्हों में से एक: धाविका सुधा सिंह

पद्मश्री के लिए चुने जाने से हैरान हूं, जीवन के सबसे बड़े लम्हों में से एक: धाविका सुधा सिंह
Modified Date: November 29, 2022 / 08:47 pm IST
Published Date: January 29, 2021 9:55 am IST

(फिलेम दीपक सिंह)

नयी दिल्ली, 29 जनवरी (भाषा) लंबी दूरी की अनुभवी धाविका सुधा सिंह खुद को पद्मश्री का हकदार मानती हैं लेकिन इस साल इस पुरस्कार विजेताओं की सूची में जब उनका नाम आया तो वह इससे हैरान थीं।

उत्तर प्रदेश के राय बरेली की रहने वाली 34 साल की सुधा मिल्खा सिंह, अंजू बॉबी जॉर्ज और पीटी उषा जैसे ट्रैक एवं फील्ड के एलीट खिलाड़ियों की सूची में शामिल हो गई हैं जिन्हें पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सुधा को इस साल के पुरस्कारों के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने नामित किया था।

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सुधा ने पीटीआई को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘मुझे जब यह खबर मिली कि मुझे पद्मश्री के लिए चुना गया है तो मैं थोड़ी हैरान थी। मैं इसकी हकदार थी लेकिन आपको कभी नहीं पता होता कि आपको यह मिलेगा या नहीं। मुझे नामित करने के लिए मैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की आभारी हूं।’’

बेंगलुरू के भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) केंद्र में ट्रेनिंग कर रही सुधा ने कहा, ‘‘2005 में कांस्य पदक जीतने के बाद से मैंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पदक हासिल किए हैं। मुझे लगता है कि यह पुरस्कार पिछले 15 साल में मेरी कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता को मान्यता देता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने जब अपना एथलेटिक्स करियर शुरू किया तो मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक दिन पद्मश्री मिलेगा। यह शानदार सफर रहा।’’

सुधा ने दो ओलंपिक, तीन एशियाई खेलों, दो विश्व चैंपियनशिप और चार एशियाई चैंपियनशिप में हिस्सा लिया है। उन्होंने अधिकतर 3000 मीटर स्टीपलचेज में हिस्सा लिया। इस स्पर्धा का राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी उनके नाम रहा जिसके बाद में ललिता बाबर ने तोड़ा।

सुधा का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2010 एशियाई खेलों का स्वर्ण पदक रहा। उन्होंने 2018 खेलों में इसी स्पर्धा का रजत पदक जीता। इस धाविका ने 2017 एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण के अलावा तीन रजत पदक (2009, 2011 और 2013) भी जीते।

सुधा ने अपने अधिकतर अंतरराष्ट्रीय पदक 3000 मीटर स्टीपलचेज में जीते लेकिन उनकी नजरें मैराथन के जरिए तीसरे ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने पर टिकी हैं। वह 2015 विश्व चैंपियनशिप की मैराथन स्पर्धा में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं मैराथन के जरिए तोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करना चाहती हूं, जहां तक ओलंपिक क्वालीफिकेशन का सवाल है तो 3000 मीटर स्टीपलचेज अब मेरी प्राथमिकता नहीं है। मैं मार्च में नयी दिल्ली मैराथन में हिस्सा लूंगी और वहां ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने की कोशिश करूंगी। ’’

सुधा 28 फरवरी को होने वाली मुंबई मैराथन में हिस्सा लेंगी। उन्होंने कहा कि वह राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी तोड़ना चाहती हैं।

मैराथन में सुधार को निजी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दो घंटे 34 मिनट और 56 सेकेंड है जबकि तोक्यो ओलंपिक क्वालीफिकेशन समय दो घंटे 29 मिनट और 30 सेकेंड हैं। राष्ट्रीय रिकॉर्ड दो घंटे 34 मिनट और 43 सेकेंड है जो ओपी जैशा के नाम है।

भाषा सुधीर मोना

मोना


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