केशव सर से हमेशा कुछ सीखने को मिला : धनराज

केशव सर से हमेशा कुछ सीखने को मिला : धनराज

केशव सर से हमेशा कुछ सीखने को मिला : धनराज
Modified Date: November 29, 2022 / 08:15 pm IST
Published Date: July 7, 2021 9:53 am IST

( मोना पार्थसारथी )

नयी दिल्ली, सात जुलाई ( भाषा ) स्वतंत्र भारत को पहला ओलंपिक स्वर्ण दिलाने वाली भारतीय हॉकी टीम के सदस्य रहे केशव दत्त को वर्तमान पीढी के खिलाड़ियों के लिये प्रेरणास्रोत बताते हुए दिग्गज खिलाड़ियों धनराज पिल्लै और दिलीप टिर्की ने कहा कि उनके निधन से एक युग का अंत हो गया ।

लंदन ओलंपिक 1948 और हेलसिंकी ओलंपिक 1952 जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के सदस्य केशव दत्त ने बुधवार को कोलकाता में अंतिम सांस ली ।

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चार ओलंपिक और चार विश्व कप खेल चुके धनराज ने भाषा से कहा ,‘‘ मैं जब भी बेटन कप खेलने कोलकाता जाता था तो उनके प्रति लोगों का सम्मान और प्रेम देखकर दंग रह जाता था । उनके आने पर लोग खड़े हो जाते थे और यह सम्मान बिरलों को ही मिलता है ।’’

उन्होंने कहा ,‘‘ लेस्ली क्लाउडियस ( 1948 टीम के सदस्य ) और केशव दत्त की दोस्ती यादगार थी । मैने हमेशा दोनों को साथ में ही देखा ।’’

धनराज ने कहा ,‘‘ केशव सर इतने मृदुभाषी थे कि कभी उनको जोर से बोलते हुए नहीं सुना । बहुत आराम से और प्यार से बात करते थे । कभी कोई विवादित बयानबाजी नहीं की और ना ही किसी के खराब प्रदर्शन पर कोई नकारात्मक टिप्पणी की । हमेशा और अच्छा खेलने के लिये प्रेरित करते थे । हॉकी महासंघ के विवादों पर भी वह यह कहते थे कि हालात यही है और इसी में अच्छा खेलना है ।’’

उन्होंने कहा ,‘‘ बेटन कप के दौरान अपने मैच के बाद भी हम मैच देखने बैठ जाते थे । वह मैदान पर आते थे तो काफी समय उनके साथ बीतता था और बहुत कुछ सीखने को मिलता था । वह हमेशा अच्छी बातें करते थे।’’

भारत के लिये तीन ओलंपिक समेत 412 अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके टिर्की ने कहा कि भारतीय हॉकी के सुनहरे दौर का एक और नगीना हमने खो दिया ।

उन्होंने कहा ,‘‘ मेरी केशव सर से कई बार मुलाकात हुई । उनकी शख्सियत में ही कुछ असर था कि वह सामने वाले पर प्रभाव छोड़ देते थे । उस पीढी के खिलाड़ियों से हमने हमेशा प्रेरणा ली है । 1948 ओलंपिक का स्वर्ण भारतीय हॉकी के इतिहास में हमेशा खास रहेगा और उसे जीतने वाली टीम भी ।’’

धनराज ने कहा ,‘‘ 1948 की टीम के सदस्य भारतीय हॉकी के लीजैंड रहे । ब्रिटेन को उसी की धरती पर चार गोल से हराकर ओलंपिक का स्वर्ण पदक जीतना बहुत बड़ी बात थी । उन्होंने हर भारतीय का सिर ऊंचा किया , उसे गौरवान्वित होने का मौका दिया । दुख होता है कि एक एक करके सुनहरे दौर के सारे महान खिलाड़ी हमें छोड़कर जा रहे हैं ।’’

लंदन, हेलसिंकी और मेलबर्न ओलंपिक ( 1956 ) के स्वर्ण पदक विजेता बलबीर सिंह सीनियर का पिछले साल निधन हो गया । भारतीय हॉकी ने इस साल मॉस्को ओलंपिक (1980) के स्वर्ण पदक विजेता एम के कौशिक, मोहम्मद शाहिद, रविंदर पाल सिंह जैसे महान खिलाड़ियों को भी खो दिया ।

भाषा मोना सुधीर

सुधीर


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