कुश्ती में विनेश और बजरंग पदक उम्मीद , रवि दहिया बन सकते हैं छिपे रूस्तम | vinesh and bajrang medal hopeful in wrestling , ravi dahiya may become hidden rustom .

कुश्ती में विनेश और बजरंग पदक उम्मीद , रवि दहिया बन सकते हैं छिपे रूस्तम

कुश्ती में विनेश और बजरंग पदक उम्मीद , रवि दहिया बन सकते हैं छिपे रूस्तम

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:54 PM IST, Published Date : July 14, 2021/11:34 am IST

(अमनप्रीत सिंह)

नयी दिल्ली, 14 जुलाई ( भाषा ) तोक्यो ओलंपिक से पहले भारतीय पहलवानों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शानदार प्रदर्शन किया है और कम से कम तीन तो पदक के प्रबल दावेदार हैं ।

भारत के सात पहलवान कुश्ती में चुनौती पेश करेंगे जिनमें से विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया पर सभी की नजरें होंगी । उनके अलावा अंशु और सोनम मलिक ने जूनियर से सीनियर स्तर तक तेजी से कामयाबी हासिल की है । भारतीय पहलवानों की ताकत और कमजोरियों का आकलन इस प्रकार है ।

बजरंग पूनिया ( 65 किलो ) :

ताकत : दमखम, बल , आक्रमण

कमजोरी : पैर का बचाव, जल्दी अंक गंवाना

सफलता : तीन बार के विश्व चैम्पियनशिप पदक विजेता, सात बार एशियाई पदक विजेता

खतरा : इताकुतो ओटोगुरो ( जापान) , गाजिमुराद राशिदोव ( रूस ) ।

बजरंग पिछले दस अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में पदक जीतने में कामयाब रहे हैं । उन्होंने छह स्वर्ण, तीन रजत और एक कांस्य जीता । दमखम के आधार पर जीतने वाले बजरंग के लिये ‘लेग डिफेंस’ समस्या रहा है । उन्होंने इस पर मेहनत की है लेकिन उनके भारवर्ग में चुनौती काफी कठिन होगी ।

रवि दहिया : (57 किलो )

ताकत : लगातार हमले बोलने की क्षमता

कमजोरी : निर्णायक क्षणों में दबाव में आ जाना

सफलता : 2019 विश्व कांस्य पदक विजेता, दो बार एशियाई चैम्पियन

खतरा : जावुद युगुएव ( रूस), सुलेमान अली ( तुर्की ), युकी ताकाहाशी ( जापान)

सुर्खियों में रहे बिना पदक के प्रबल दावेदारों में शुमार रवि दहिया दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम की देन है । वह तकनीक के धनी और काफी ताकतवर पहलवान हैं । उन्हें हालांकि बढत बनाने के बाद दबाव में होने का खामियाजा पोलैंड ओपन में भुगतना पड़ा ।

दीपक पूनिया :

ताकत : लचीलापन , दमखम, आक्रमण

कमजोरी : रक्षण

सफलता : 2019 विश्व रजत पदक विजेता, 2020 एशियाई कांस्य पदक

खतरा : हसन यजदानी ( इरान ), डेविड मौरिस टेलर(अमेरिका)

दीपक जूनियर से सीनियर स्तर पर कामयाबी के साथ पहुंचे लेकिन तोक्यो ओलंपिक की तैयारी उतनी पुख्ता नहीं कही जा सकती । उन्होंने 2020 विश्व कप के बाद नहीं खेला है और पोलैंड ओपन से पहले चोट के कारण बाहर होना पड़ा ।

विनेश फोगाट ( 53 किलो ):

ताकत : दमखम, तकनीकी कौशल

कमजोरी : जवाबी हमलों पर अंक गंवाना

सफलता : 2019 विश्व कांस्य पदक विजेता, 2021 एशियाई चैम्पियन

खतरा : मायु मुकेइडा ( जापान )

विनेश अपने वर्ग में स्वर्ण पदक की दावेदार है । भारवर्ग में बदलाव का भी उन्हें फायदा मिला है। वह तकनीकी कौशल की धनी है और उनमें अपार ताकत भी है । जवाबी हमलों पर अंक गंवाने से उन्हें बचना होगा ।

सीमा बिस्ला (50 किलो )

ताकत : सहनशीलता, वापसी की क्षमता

कमजोरी : बड़े स्तर पर खेलने के अनुभव का अभाव, रक्षण

सफलता : 2021 एशियाई कांस्य पदक विजेता

खतरा : मारिया स्टाडनिक ( अजरबैजान ), युइ ससाकी ( जापान )

सीमा ने तोक्यो ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करके सभी को चौका दिया है । वह बुल्गारिया में हुए टूर्नामेंट से तोक्यो का टिकट कटाने में कामयाब रही क्योंकि वहां बड़े पहलवान नहीं उतरे थे । बड़े स्तर पर अनुभव की कमी उनकी राह में रोड़ा बन सकती है । उनके वर्ग में आठ पहलवान ऐसे हैं जिनका उन्होंने कभी सामना नहीं किया ।

अंशु मलिक : (57 किलो )

ताकत : तकनीकी रूप से सक्षम, आक्रामक

कमजोरी : अनुभव का अभाव

सफलता : 2021 एशियाई चैम्पियन

खतरा : रिसाको कावाइ ( जापान), ओडुनायो एफ ( नाइजीरिया )

बेहद प्रतिभाशाली अंशु के पास खोने के लिये कुछ नहीं है । तोक्यो का अनुभव भविष्य में उनके काम आयेगा ।

सोनम मलिक : ( 62 किलो )

ताकत : तकनीक, जवाबी हमलों पर स्कोर करने की क्षमता

कमजोरी : अनुभव का अभाव

सफलता : 2021 एशियाई चैम्पियन

खतरा : युकाको कावाइ ( जापान), तायबे मुस्तफा ( बुल्गारिया )

सोनम भी अंशु की तरह ‘सरप्राइज क्वालीफायर’ हैं । वह कैडेट स्तर से सीधे सीनियर स्तर पर पहुंची । घरेलू स्तर पर उन्होंने लगातार चार बार रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक को हराया ।

भाषा मोना सुधीर

सुधीर

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)