बारीकियों पर काम करने और अपने फन के प्रति वफादारी से मिली सफलता : शमी

बारीकियों पर काम करने और अपने फन के प्रति वफादारी से मिली सफलता : शमी

बारीकियों पर काम करने और अपने फन के प्रति वफादारी से मिली सफलता : शमी
Modified Date: February 21, 2025 / 12:27 pm IST
Published Date: February 21, 2025 12:27 pm IST

(सुमन रे)

दुबई, 21 फरवरी ( भाषा ) चोट के कारण क्रिकेट से दूर रहने का कठिन दौर पीछे छोड़कर आये भारत के अनुभवी तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी ने कहा कि बारीकियों पर काम करने और अपने कौशल के प्रति वफादार रहने से उन्हें आईसीसी टूर्नामेंटों में कामयाबी मिलती है जिसमें उनका फोकस किफायती गेंदबाजी पर नहीं बल्कि विकेट लेने पर रहता है ।

शमी ने चैम्पियंस ट्रॉफी में बांग्लादेश के खिलाफ पहले मैच में पांच विकेट लिये जिसकी मदद से भारत ने छह विकेट से जीत दर्ज की । वह 200 वनडे विकेट तक सबसे तेजी से पहुंचने वाले दूसरे भारतीय गेंदबाज भी बन गए।

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शमी ने मैच के बाद प्रेस कांफ्रेंस में कहा ,‘‘आईसीसी टूर्नामेंटों में अगर मेरी गेंदों पर रन भी बनते हैं तो चलता है लेकिन विकेट मिलने चाहिये । उसी से टीम को फायदा होगा । मैं हमेशा यही सोचता रहता हूं ।’’

शमी को 2023 वनडे विश्व कप के दौरान टखने में चोट लगी थी जिसके बाद वह 14 महीने तक क्रिकेट से दूर रहे । उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ सीमित ओवरों की श्रृंखला के जरिये वापसी की और अब जसप्रीत बुमराह की गैर मौजूदगी में चैम्पियंस ट्रॉफी में भारतीय आक्रमण की कमान संभाल रहे हैं ।

शमी ने कहा ,‘‘ मैं अपने फन को पूरी वफादारी से निखारने की कोशिश करता हूं । आप अपने कौशल के प्रति कितने वफादार हैं या अपने लक्ष्य को पाने की कितनी भूख आपके भीतर है । आप कैसे लय हासिल कर सकते हैं । भूख होना जरूरी है ।’’

उन्होंने कहा कि वह हमेशा बारीकियों पर काम करते आये हैं जिससे उन्हें मदद मिलती है ।

उन्होंने कहा ,‘‘ लय सही होनी जरूरी है । गेंदबाजी करते समय असहज तो नहीं हैं । मैं इन चीजों पर ध्यान देता हूं । नतीजे पर ध्यान नहीं देता । वर्तमान पर फोकस रहता है और जरूरत के हिसाब से गेंदबाजी करता हूं ।’’

वनडे क्रिकेट में छठी बार पांच विकेट लेने वाले शमी ने बताया कि बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी में भारत को हारते देख वह कितने दुखी थे जब बुमराह ने अकेले दम पर गेंदबाजी का जिम्मा संभाल रखा था ।

उन्होंने कहा ,‘‘ यह काफी कठिन था । जब आप टीम को इस तरह देखते हैं या कोई करीबी मुकाबला होता है तो आप अपने साथ गेंदबाजी करने वाले को , अपनी टीम को याद करते हैं । मुझे ऐसा लग रहा था कि काश मैं वहां होता । मैं कुछ योगदान दे पाता ।’’

शमी ने कहा कि चोट से वह कदर टूट चुके थे कि एकबारगी उन्हें लगा कि अब वह कभी खेल नहीं सकेंगे । उन्होंने कहा कि पिछले साल के आखिर में घरेलू क्रिकेट में वापसी करके उनका आत्मविश्वास फिर लौटा ।

उन्होंने कहा ,‘‘ घरेलू मैच खेलकर मैने अपनी लय और आत्मविश्वास पाया । पिछले 14 महीने या चोट के बाद के बदलाव को महसूस किया । मुझे चार अंतरराष्ट्रीय और आठ , नौ , दस घरेलू मैच खेलने को मिले जिससे आत्मविश्वास बढा ।’

पाकिस्तान के खिलाफ मैच को लेकर हाइप के बारे में उन्होंने कहा ,‘‘ उसी मानसिकता से खेलना अहम है जिससे जीत मिली है । आईसीसी टूर्नामेंट या किसी अंतरराष्ट्रीय मैच विशेष के बारे में ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है ।’’

भाषा मोना

मोना

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