जबलपुर। प्रसिद्ध साहित्यकार, चित्रकार और नर्मदा प्रेमी अमृतलाल बेगड़ का शुक्रवार को निधन हो गया। वे नर्मदा समग्र के प्रमुख थे। उन्होंने जबलपुर में आख़िरी सांस ली। वे लंबे समय से बीमार थे। कुछ दिन से उन्हे वेंटिलेटर पर रखा गया था। नर्मदा संरक्षण में उल्लेखनीय भूमिका निभाने वाले बेगड़ का अंतिम संस्कार जबलपुर में नर्मदा किनारे ग्वारीघाट पर शुक्रवार शाम किया जाएगा।
बता दें, अमृतलाल बेगड़ ने पर्यावरण संरक्षण के लिए उल्लेखनीय काम किया। उन्होंने नर्मदा की 4 हज़ार किलोमीटर की पदयात्रा उन्होंने की। उन्होंने नर्मदा अंचल में फैली बेशुमार जैव विविधता से दुनिया को परिचित कराया। उन्होंने 1977 में 47 साल की उम्र में नर्मदा परिक्रमा करना शुरू की, जो 2009 तक जारी रहा।
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उन्होंने हिंदी की प्रसिद्ध किताब- नर्मदा की परिक्रमा, इस दौरान के अनुभव पर लिखी थी। उन्होंने गुजराती में 7, हिन्दी में 3 किताबें, ‘सौंदर्य की नदी नर्मदा, ‘अमृतस्य नर्मदा’, ‘तीरे-तीरे नर्मदा’ के साथ 8-10 बाल साहित्य की पुस्तकें भी लिखीं। इन पुस्तकों के 5 भाषाओं में 3-3 संस्करण निकले, उनकी कुछ किताबों का विदेशी भाषाओं में भी अनुवाद हुआ है।
जबलपुर में जन्मे अमृतलाल बेगड़ की प्रारंभिक शिक्षा कच्छ में और फिर बाद में शांति निकेतन में विश्व भारती विवि से पढ़ाई की। उन्होंने अपनी कर्मभूमि जबलपुर को ही बनाई। यहां वे ललित कला संस्थान में शिक्षक रहे। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय ने उन्हें डी- लिट की उपाधि प्रदान की थी। जीवन भर उन्हें साहित्य -कला और लेखन के लिए दर्जनों पुरस्कार और सम्मान प्रदान किए गए। वे साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित थे।
वेब डेस्क, IBC24
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