औरंगाबाद, दो अप्रैल (भाषा) कोविड-19 के मामलों में वृद्धि के बाद महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर में 17वीं सदी के मुगल काल की इमारत ‘बीबी का मकबरा’ बंद कर दिया गया है और ऐसे में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने इसकी मरम्मत और संरक्षण का काम शुरू कर दिया है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एएसआई ने पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र इस मकबरे की पेटिंग और पत्थरों के संरक्षण काम शुरू किया है।
पुरातत्व रसायनशास्त्री उपाधीक्षक श्रीकांत मिश्रा ने बृहस्पतिवार को बताया, ‘‘ इस इमारत के संरक्षण के काम को तीन हिस्सों- प्रवेश द्वार के भीतर की पेटिंग, गुंबदों और कब्र के चारों संगमरमरों पर बनी बनावटों के संरक्षण- में बांटा गया है।
उन्होंने बताया कि प्रवेश द्वार पर जहां टिकटों की जांच की जाती है, वहां भीतर पेटिंग रखे हैं और इसका संरक्षण वैज्ञानिक विधि द्वारा किया जा रहा है। यहां मुख्य इमारत के गुंबदों की सफाई और उसे भी वैज्ञानिक विधि से संरक्षित करने का कार्य होगा।
उन्होंने बताया कि इस कार्य पर करीब 50 लाख रुपये खर्च होंगे और काम दो से तीन महीने तक चलेगा। हालांकि पेटिंग के संरक्षण कार्य में थोड़ा ज्यादा समय लग सकता है।
वहीं इतिहासकार दुलारी कुरैशी एएसआई के कदम का स्वागत करती हैं और पीटीआई-भाषा से बातचीत में इस बात पर जोर देती हैं कि इमारत के अन्य हिस्सों को भी संरक्षण और मरम्मत की जरूरत है।
आगरा में स्थित ताजमहल जैसा दिखने से इस मकबरे को ‘दक्कन का ताज’ भी कहा जाता है। इसे बादशाह औरंगजेब ने 1660 में अपनी पत्नी दिलरास बानो बेगम की याद में इसके निर्माण का आदेश दिया था।
भाषा स्नेहा अनूप
अनूप
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