बिलासपुर। सुंदरलाल शर्मा ओपन युनिवर्सिटी से पीएचडी करने वाले अभ्यर्थियों के लिए बुरी खबर है। पीएचडी में फर्जीवाड़े की शिकायत के बाद राहत पाने के लिए 96 पीएचडी धारकों ने हाईकोर्ट की सिंगल बेंच में याचिका लगाई थी, इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि याचिका अभी अपरिपक्व है और सुनवाई योग्य नहीं है।
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ये पीएचडी ओपन युनिवर्सिटी से साल 2009 से लेकर 2014 के बीच पूरी की गई है, लेकिन फर्जीवाड़े की शिकायत होने और यूजीसी के नियमों के विपरीत पीएचडी कोर्स कराने को लेकर पूरे मामले की शिकायत कर दी गई थी जिसके बाद तत्कालीन राज्यपाल बलरामदास टंडन ने पीएचडी अवार्ड किए जाने पर रोक लगा दी थी।
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राज्यपाल के निर्देश पर 10 उच्च शिक्षाविदों की एक कमेटी बनाकर जांच के निर्देश दिए गए थे। इस मामले में पीएचडी अवार्ड तो नहीं किया गया, लेकिन नोटिफिकेशन जारी होने की वजह से 226 पीएचडी धारक डॉक्टर कहलाने लगे और इनमें से ज्यादातर फिलहाल शासकीय सेवा में हैं, लिहाजा राहत पाने के लिए पीएचडी धारकों ने याचिका लगाई थी। लेकिन जस्टिस गौतम भादुड़ी की सिंगल बेंच ने याचिका को अपरिपक्व मानते हुए खारिज कर दिया है।
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