रायपुर। प्रदेश में शिशु मृत्यु में कमी क्या आई सरकार सभी को स्वस्थ मान बैठी। इसीलिए तो अप्रैल से 11 से 14 साल की स्कूल जाने वाली और 14 से 18 साल स्कूल जाने वाली और शाला त्यागी किशोरियों को सुपोषण कार्यक्रम से बाहर कर दिया। जबकि राज्य में कुपोषण की हकीकत किसी से छुपी नहीं है। इसे हल करने के बजाय छत्तीसगढ़ की मंत्री रमशीला साहू राज्य सरकार को धन्यवाद देते नहीं थक रहीं।
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किशोरियों में कुपोषण को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार लगभग 6 साल से कार्यक्रम चला रही थी। जिसके तहत प्रदेश के सभी जिलों में 11 से 14 साल और 14 से 18 साल की किशोरियों को आंगनबाड़ी के माध्यम से पूरक पोषण आहार दिए जा रहे थे। कार्यक्रम में स्कूल जाने वाली और शाला त्यागी लड़कियों को शामिल किया गया था। केंद्र की ओर से चलाए जा रहे इस कार्यक्रम का खर्च राज्य के 10 जिलों में सबला योजना के तहत और 17 जिलों में राज्य निधी से किया जा रहा था लेकिन अप्रैल से 11 से 14 साल की स्कूल जाने वाली और 14 से 18 साल की दोनों वर्ग की युवतियों को इस कार्यक्रम से बाहर कर दिया गया। इधर कांग्रेस का आरोप है कि अगर केंद्र ने योजना बंद की है तो राज्य सरकार उसकी जगह दूसरी योजना लानी थी।
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वेब डेस्क, IBC24
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