नर्मदा में सुकून की तलाश, परिक्रमा के लिए निकली विदेशी महिला

नर्मदा में सुकून की तलाश, परिक्रमा के लिए निकली विदेशी महिला

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  • Publish Date - January 9, 2019 / 04:52 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:47 PM IST

होशंगाबाद।नर्मदा आस्था के साथ अब मेडीटेशन से मानसिक शांति और भारतीय संस्कृति का परिचय कराने वाली नदी बनकर विदेशों में भी ख्याति प्राप्त कर रही है। विदेशी इसकी परिक्रमा करने आते हैं और कुछ तो यहीं बस जाते हैं। 3 साल पहले जर्मनी से गंगा यात्रा पर आई मोन्या को जब टिस मुंबई के सामाजिक उद्यमिता के छात्र सचिन ने नर्मदा के विषय में बताया तो वह नर्मदा परिक्रमा पर निकल पड़ी। जर्मनी में सामाजिक विकास पर काम कर रही मोन्या अलग- अलग देशों की संस्कृति पर रिसर्च के साथ मानसिक शांति के सूत्र तलाश रही हैं। मोन्या के साथ सचिन और अमेरिकन आर्मी से नौकरी छोड़कर आए केरल के सजेश भी हैं। तीनों यात्रियों का लक्ष्य भारतीय दर्शन को समझने के साथ नदियों को जनसामान्य से जोड़ना है।

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बता दें कि गंगा के तट पर ऋिषिकेष में मोन्या ने लंबा समय बिताया है। मोन्या कहती है कि नदियां और मानव संस्कृति एक ही यात्रा है। इनके अस्तित्व को बचाने के लिए इनके आसपास के लोगों और पर्यावरण को बचाना जरूरी है। बैग में टूथब्रश जैसी जरूरत का सामान लेकर पैदल नर्मदा परिक्रमा पर निकली हूं। थोड़े ही समय में यह अनुभव हो गया है कि नर्मदा जीवित हैं। जो मांगो देती है, जो पूछो बताती है। 8 दिसंबर को अमरकंटक पंचधारा से शुरु हुई यात्रा कामेंदल, सिवनी संगम, साका, छबि, देओगांव, डिंडोरी से मंडला, महाराजपुर, बरगी, जबलपुर, सांगाखेड़ा, रामनगर, बघवाड़ा, सूरजकुंड, होशंगाबाद पहुंची है। तीनों यात्री मंदिरों, गांव के लोगों के आंगन और परिक्रमावासियों के आश्रम में रात बिता रहे हैं।