मवेशियों की वजह से सड़कों पर बढ़ रहा हादसों का ग्राफ | Graph of accidents rising on roads due to cattle

मवेशियों की वजह से सड़कों पर बढ़ रहा हादसों का ग्राफ

मवेशियों की वजह से सड़कों पर बढ़ रहा हादसों का ग्राफ

मवेशियों की वजह से सड़कों पर बढ़ रहा हादसों का ग्राफ
Modified Date: November 29, 2022 / 07:48 pm IST
Published Date: August 9, 2017 7:01 am IST

रायपुर: गोरक्षा देश की सियासत में सबसे बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है। चाहे भाजपा हो या फिर कांग्रेस. अब दोनों ही दलों ने गाय की पूंछ पकड़कर सियासत शुरू कर दी है। लेकिन स्मार्ट होते रायपुर का दुर्भाग्य ये है कि. यहां की सड़कों पर डेरा जमाने वाले गाय और दूसरे मवेशी को लेकर किसी के पास कोई प्लान नहीं। नगर निगम अपनी सारी जिम्मेदारी राज्य सरकार पर डाल रही है। इधर, मवेशियों की वजह से सड़कों पर हादसों का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है।

ये स्मार्ट होते राजधानी रायपुर की सड़कें हैं. जहां हर सड़क पर, हर चौक-चौराहे पर गाय, बैल, भैंस खड़े या बैठे मिल जाएंगे। कई इलाकों में तो पूरी सड़क पर ही इनका कब्जा रहता है। हादसे को न्यौता देते इन मवेशियों को हटाने और इनके मालिक पर जुर्माना लगाने की जिम्मेदारी नगर निगम की है। लेकिन शहर में सिर्फ दो ही कांजी हाउस हैं, जिनकी क्षमता पांच हजार हैं। लेकिन शहर में 50 से 60 हजार मवेशी सड़क पर घूम रहे हैं। 

महापौर प्रमोद दुबे सारी जिम्मेदारी राज्य शासन पर डाल रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से जंगल सफारी की तर्ज पर गाय अभयारण्य बनाने की मांग करते हुए इसके लिए 25 एकड़ जमीन की मांग की है। साथ ही गोकुल ग्राम बनाने के लिए शहर में तीन जगह जमीनें मांगी है। पूरे देश में गायों की रक्षा के नाम पर खूनखराबे भी हो रहे हैं। भाजपा के साथ कांग्रेस ने भी वोटों के लिए गाय की पूंछ पकड़ ली है। लेकिन इनकी सुरक्षा के लिए जो जमीनी कोशिश होनी चाहिए, वो कोई नहीं कर रहा। 

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