Hindi fortnight ends at Indian Institute of Mass Communication

भारतीय जन संचार संस्थान में हिंदी पखवाड़े का समापन, ‘डिजिटल दुनिया में हिंदी का भविष्य’ विषय पर वेबिनार

Hindi fortnight ends at Indian Institute of Mass Communication

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:30 PM IST, Published Date : October 1, 2021/2:44 pm IST

नई दिल्ली। ”दुनिया के विभिन्न देशों में हिंदी के प्रति लोगों का झुकाव बढ़ रहा है। इसलिए जरूरी है कि हिंदी को समृद्ध और सशक्त बनाने की दिशा में प्रयास किए जाएं। इसके लिए हिंदी को अन्य भारतीय भाषाओं से जोड़ते हुए उसका डिजिटल दुनिया में उपयोग बढ़ाने की आवश्यकता है।” यह विचार दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी की प्रोफेसर कुमुद शर्मा ने भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) द्वारा हिंदी पखवाड़े के समापन के अवसर पर आयोजित वेबिनार में व्यक्त किए।

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कार्यक्रम की अध्यक्षता आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने की। इस अवसर पर प्रभासाक्षी डॉट कॉम के संपादक नीरज कुमार दुबे, न्यूजनशा डॉट कॉम की संपादक सु विनीता यादव, आईआईएमसी के विज्ञापन एवं जनसंपर्क विभाग की पाठ्यक्रम निदेशक प्रो. अनुभूति यादव एवं आईटी विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. संगीता प्रणवेन्द्र भी उपस्थित थी।

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‘डिजिटल दुनिया में हिंदी का भविष्य’ विषय पर कार्यक्रम की मुख्य अतिथि के तौर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रो. शर्मा ने कहा कि आज न तो हिंदी की सामग्री की कमी है और न ही पाठकों की। इंटरनेट पर हिंदी साहित्यिक सीमाओं को लांघ कर अपना प्रसार कर रही है। हिंदी साहित्य में लेखन की विभिन्न विधाओं में आज नया लेखक मंच स्थापित हो चुका है, जो डिजिटल माध्यमों पर अपनी रचनाओं को प्रकाशित कर रहा है। इसे हम साहित्य का नया लोकतंत्र कह सकते हैं।

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इस अवसर पर भारतीय जन संचार संस्थान के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि हिंदी भाषा के व्याकरण एवं देवनागरी लिपि का अपना वैज्ञानिक आधार है। देवनागरी लिपि कंप्यूटर तंत्र की प्रक्रिया के लिए पूर्ण रूप से अनुकूल है। देवनागरी लिपि को कंप्यूटेशनल भाषा में बदलने की अपार संभावनाएं हैं और इसके माध्यम से विलुप्त होती अन्य भारतीय भाषाओं का भी संरक्षण संभव है। प्रो. द्विवेदी के अनुसार अगर हम भारतीय भाषाओं के संख्या बल को सेवा प्राप्तकर्ता से सेवा प्रदाता में तब्दील कर दें, तो भारत जितनी बड़ी तकनीकी शक्ति आज है, उससे कई गुना बड़ी शक्ति बन सकता है।

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नीरज कुमार दुबे ने कहा कि एक वक्त था जब भारतीयों के कंप्यूटर, लैपटॉप और मोबाइल पर अंग्रेजी का राज था, लेकिन आज वो जगह हिंदी ले चुकी है। हिंदी सिर्फ राजभाषा नहीं, बल्कि दिलों पर राज करने की भाषा भी है। उन्होंने कहा कि हिंदी को अंग्रेजी की तरह तकनीकी क्षमता विरासत में नहीं मिली, लेकिन हिंदी कंटेट की बढ़ती गुणवत्ता ने उसे डिजिटल माध्यमों पर अलग पहचान दिलाई है।

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सु विनीता यादव ने कहा कि डिजिटल दुनिया में हिंदी व्यापार और व्यवहार की भाषा बनती जा रही है। आज ओटीटी में हिंदी है, ट्विटर के हैशटैग भी हिंदी में हैं और लोगों के दिलों तक पहुंचने की भाषा भी हिंदी है। उन्होंने कहा कि आप जिस भाषा में सोचते हैं, आपके विचार और भावनाएं उसी भाषा में सामने आते हैं। इस संदर्भ में भारत की भाषा हिंदी ही है।

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प्रो. अनुभूति यादव ने कहा कि आज डिजिटल माध्यमों पर लोग अपनी भाषा मे कंटेट पढ़ना चाहते हैं। गूगल की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 60 प्रतिशत लोग वॉइस असिस्टेंट का प्रयोग हिंदी में करते हैं। यूट्यूब पर देखे जाने वाले कुल वीडियो में से 90 प्रतिशत भारतीय भाषाओं में होते हैं। पिछले वर्षों के मुकाबले गूगल ट्रांसलेट का इस्तेमाल 17 प्रतिशत ज्यादा बढ़ा है। उन्होंने कहा कि विदेशी कंपनियां ये समझ गई हैं कि अगर उन्हें भारतीय बाजार में टिकना है, तो हिंदी में कंटेट देना होगा।