जनता मांगे हिसाब के सफर की शुरुआत करते हैं छत्तीसगढ़ की दुर्ग शहर विधानसभा से..सियासी बिसात और मुद्दों से पहले एक नजर विधानसभा की प्रोफाइल पर।
दुर्ग जिले की अहम विधानसभा सीट
कुल जनसंख्या करीब 2 लाख 68 हजार
कुल मतदाता- 1 लाख 91 हजार
महिला मतदाता 95 हजार 575
पुरुष मतदाता- 95 हजार 865
वर्तमान में विधानसभा सीट पर कांग्रेस का कब्जा
अरुण वोरा हैं वर्तमान कांग्रेस विधायक
सियासत
चुनाव की उल्टी गिनती शुरु होती ही चुनावी रंग में रंगने लगी है दुर्ग विधानसभा..कांग्रेस की इस कब्जे वाली विधानसभा में बीजेपी सेंध लगाने की कोशिश में जुट गई है, इसके साथ ही विधायक की टिकट की रेस भी शुरु हो गई है ।
बीजेपी और कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं की सियासी जमीन रही है दुर्ग शहर विधानसभा..कांग्रेस के प्यारेलाल बेलचंदन,मोतीलाल वोरा और दाऊ वासुदेव चंद्राकर तो बीजेपी के हेमचंद यादव और सरोज पांडे जैसे नेता इस विधानसभा के कद्दावर नेताओं में से एक रहे हैं.. बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के अरुण वोरा ने जीत हासिल की थी..अब फिर चुनाव की रणभेरी बजने वाली है तो सियासी बिसात भी बिछने लगी है..इसके साथ ही टिकट के दावेदार भी सामने आने लगे हैं..बात कांग्रेस की करें तो दावेदार तो बहुत हैं लेकिन वर्तमान विधायक अरुण वोरा का पलड़ा भारी है…अब बात बीजेपी की करें तो वर्तमान महापौर चंद्रिका च्रंदाकर और गजेंद्र यादव प्रबल दावेदार हैं..इसके अलावा देवेन्द्र चंदेल भी दावेदारों में से एक हैं..इन सब दावेदारों के बीच बीजेपी, पूर्व मंत्री रहे हेमचंद यादव के परिवार के किसी सदस्य को चुनावी मैदान में उतार सकती है.. बीजेपी और कांग्रेस की तरह JCCJ में भी दावेदारों की लाइन है..जिसमें सबसे पहला नाम है प्रताप मध्यानी का…इसके अलावा प्रकाश देशलहरा और विवेक मिश्रा भी दावेदार हैं..इस बार चुनावी मैदान में आम आदमी पार्टी भी दिखाई देगी..आप ने डॉ एसके अग्रवाल को अपना उम्मीदवार घोषित भी कर दिया है ।
मुद्दे
दुर्ग शहर विधानसभा में हर तरफ समस्याओं का अंबार है..हर बार चुनाव में विकास के वादे और दावे तो किए जाते हैं लेकिन हालात नहीं बदलते । शहरी क्षेत्र होने के बाद भी इस विधानसभा में वो विकास नजर नहीं आता जो होना चाहिए…लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं..शिवनाथ नदी होने के बाद भी शहर में पेयजल की गंभीर समस्या है..निगम ने शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए करोड़ों खर्च किए.. इसके बाद भी नलों से गंदा पानी आ रहा है.. यही वजह है कि पीलिया का प्रकोप जारी है।
विधानसभा में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं भी बदहाल हैं…जिला अस्पताल में डॉक्टरों की भारी कमी है.. मजबूरन मरीज निजी अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं…वहीं स्कूलों में शिक्षकों की कमी अब तक दूर नहीं हो सकी है…इसके अलावा शंकर नाला का निर्माण कार्य भी अब तक पूरी नहीं हो सका है…बारिश के दिनों में हालत बेकाबू नजर आते हैं…बेरोजगारी भी एक बड़ी समस्या है..रोजगार के साधनों के अभाव में पलायन के लिए मजबूर हैं लोग ।
वेब डेस्क, IBC24
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