मोहला-मानपुर में विकास की रफ्तार सुस्त, बिजली,पानी और सड़क के लिए तरस रही जनता

मोहला-मानपुर में विकास की रफ्तार सुस्त, बिजली,पानी और सड़क के लिए तरस रही जनता

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  • Publish Date - July 11, 2018 / 11:17 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:46 PM IST

जनता मांगे हिसाब के सफर की शुरुआत करते हैं छत्तीसगढ़ की मोहला-मानपुर विधानसभा से..चुनावी समीकरण और मुद्दों से पहले एक नजर विधानसभा की प्रोफाइल पर

राजनांदगांव जिले में आती है विधानसभा सीट

कुल मतदाता-1 लाख 53 हजार 936

पुरुष मतदाता-76 हजार 172

महिला मतदाता-77 हजार 764

वर्तमान में विधानसभा सीट पर कांग्रेस का कब्जा

तेजकुंवर नेताम हैं कांग्रेस विधायक

सियासत-

विधानसभा के चुनावी रण के लिए बस कुछ महीने ही बाकी हैं तो ऐसे में सियासी बिसात भी बिछने लगी है। जहां कांग्रेस जीत बरकारार रखने के इरादे से मैदान में होगी तो वहीं बीजेपी वापसी की कोशिश में होगी 

2003 में बीजेपी की जीत तो 2008 में कांग्रेस की और 2013 में भी कांग्रेस की जीत का परचम। ऐसा सियासी नक्शा है मोहला-मानपुर विधानसभा का बीते चुनाव में कांग्रेस की तेजकुंवर नेताम ने बीजेपी के भोजेश शाह को मात दी. अब उसी हार का बदला लेने की रणनीतियां बनाने में जुट गई है बीजेपी। जीत-हार की इन रणनीतियों के साथ टिकट की दावेदारी भी शुरु हो गई है। बात कांग्रेस की करें तो वर्तमान विधायक तेजकुंवर नेताम का नाम सबसे आगे है। इसके अलावा इंदर सिंह मंडावी भी दावेदार हैं। अब बात बीजेपी की करें तो भोजेश शाह मंडावी और पूर्व विधायक शिवराज सिंह उसारे प्रबल दावेदार हैं तो वहीं कंचनमाला भूआर्य और संजीव शाह भी टिकट की दौड़ में हैं। जहां बीजेपी और कांग्रेस अब तक दावेदारों में उलझी है तो वहीं JCCJ ने संजीत ठाकुर को उम्मीदवार घोषित कर दिया है

मुद्दे-

मोहला-मानपुर में विकास की रफ्तार सुस्त नजर आती है..बिजली,पानी और सड़क तक के लिए तरस रहे हैं लोग । नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शामिल है मोहला-मानपुर विधानसभा। आए दिन नक्सली वारदातों की घटनाएं सामने आती रहती है। लेकिन नक्सलवाद पर नकेल कस नहीं पा रही है। ग्रामीण इलाकों में बुनियादी सुविधाओं तक के लिए तरस रही है जनता। कई गांव तो ऐसे हैं जहां रोड कनेक्टिविटी भी नहीं है..तो कहीं बिजली अब तक नहीं पहुंच सकी है। गांवों में पेयजल भी एक बड़ी समस्या है। शिक्षा,स्वास्थ्य और रोजगार की भी स्थिति खराब है। स्कूली शिक्षा के साथ उच्च शिक्षा भी बदहाल है। स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं तो उच्च शिक्षा के लिए कोई बड़े संस्थान नहीं हैं।स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत ये की अस्पताल डॉक्टरों के इंतजार में हैं। बेरोजगारी भी एक बड़ी समस्या है। रोजगार के साधन हैं नहीं नतीजा पलायन के लिए मजबूर हैं लोग ।

 

वेब डेस्क, IBC24