कमलनाथ को मध्यप्रदेश की कमान, 17 को ले सकते हैं शपथ

कमलनाथ को मध्यप्रदेश की कमान, 17 को ले सकते हैं शपथ

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  • Publish Date - December 14, 2018 / 03:37 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:47 PM IST

भोपाल। कांग्रेस ने मध्यप्रदेश का कैप्टन कमलनाथ को बनाया है। दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के घर पर गुरुवार दिनभर चली मैराथन बैठकों के बाद रात करीब साढ़े आठ बजे मध्यप्रदेश में कमलनाथ को सीएम बनाना तय हुआ। इसकी औपचारिक घोषणा के लिए भोपाल में रात करीब पौने ग्यारह बजे विधायक दल की बैठक बुलाई गई, जो दिन में 5 बार टली थी।

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विधायकों ने दिल्ली से मिले निर्देशों के अनुसार कमलनाथ के नाम पर मुहर लगाई। इसके साथ ही उन चर्चाओं को भी विराम लग गया, जिसमें कहा जा रहा था कि मध्यप्रदेश में डिप्टी सीएम बनाए जाएंगे। विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद कमलनाथ ने ज्योतिरादित्य सिंधिया का उनके समर्थन के लिए धन्यवाद अदा करते हुए कहा कि ये पद उनके लिए मील के पत्थर के समान है। उन्होंने कहा कि वे मध्यप्रदेश के मतदाताओं के आभारी हैं। कांग्रेस वचनपत्र में किए गए अपने सभी वादे पूरा करेगी। कमलनाथ ने कहा कि वे राज्यपाल से मिलकर शपथ के बारे में तय करेंगे। लेकिन माना जा रहा है कि शपथ समारोह 17 दिसंबर को हो सकता है। कमलनाथ ने ये भी कहा कि मैंने ज्योतिरादित्य के पिता के साथ भी काम किया है और उनके बेटे ने उन पर विश्वास किया इसके लिए वे उनके आभारी हैं

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कमलनाथ का सियासी सफर

छिंदवाड़ा के कमलनाथ अब मध्यप्रदेश के सीएम होंगे । जीवन के ऐसे पड़ाव में जब शोहरत का सूरज ढलने लगता है। कमलनाथ उरूज पर पहुंच गए हैं। उनकी ये नई पारी कैसी होगी। ये जानने की उत्सुकता अब सबमें है ।

कानपुर में जन्मे कमलनाथ, कोलकाता की बड़ी बिजनेस फैमिली से ताल्लुक रखने वाले कमलनाथ। कांग्रेस में ऊंचे पाए के नेता कमलनाथ..दिल्ली की सियासी बिरादरी में अरसे से अपनी हनक रखने वाले कमलनाथ। छिंदवाड़ा के जन-जन में लोकप्रिय कमलनाथ।

महज आठ महीने पहले उन्हें दिल्ली की जगह भोपाल में डेरा डालने का हुक्म हुआ। जब वो मध्यप्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बने। चुनाव सामने था मोदी की आंधी के सामने बिखरी कांग्रेस थी और शिवराज जैसे लोकप्रिय सीएम से सामना था । 15 साल का वनवास और गुटों में बंटी पार्टी। ऊपर से कमजोर पार्टी कल्चर। इधर कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर पर होता लगातार पराभव। इन सबके बीच कमलनाथ ने मध्यप्रदेश की कमान संभाली । कमलनाथ कभी मॉस लीडर की तरह नहीं पहचाने गए। पर वो कुशल रणनीतिकार और आला पॉलिटिकल ब्रेन वाले लीडर के तौर पर केंद्रीय संगठन के हमेशा से चहेते रहे। चाहे वो इंदिरा गांधी का दौर हो या फिर राहुल गांधी का । हाईकमान ने बड़ी उम्मीदों के साथ कमलनाथ को मध्यप्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी। पर तब चमत्कार की उम्मीद किसी ने न की थी। 

कमलनाथ खामोशी के साथ जुट गए मिशन मध्यप्रदेश में शुरुआत पार्टी की बेसिक्स करेक्ट करने से की। गुटों में तालमेल बिठाया कार्यकर्ताओं के दर्द को समझा पार्टी की ताक़त को समझा और सरकार की कमजोरियों की पड़ताल की कमलनाथ जुझारू नेता रहे पर अब उन्हें लड़ाकू नायक की भूमिका निभानी थी युद्धकाल में वो योद्धा बनकर उतरे मजबूत घेरेबंदी की आरोपों के तीर चलाए सरकार की हर कमी पर उंगली रखी वो लगे रहे वो जुटे रहे। पूरा मप्र नापा वो जानते थे उनका मुकाबला।

सीएम शिवराज सिंह की बला की ऊर्जा, कमाल की संवाद कला, और सम्मोहित करने वाली देहभाषा से है। पर कमलनाथ जादुगरी वाली राजनीति के कायल कभी नहीं रहे उन्होंने अतिरेक की जगह सहजता को चुना उन्होंने ऊंची हांक लगाने की जगह जनता से उन्हीं की तरह बात करना ठीक समझा वो कहे कम सुने ज्यादा चले बहुत सीखा बहुत जाना बहुत कि मध्यप्रदेश चाहता क्या है आखिर क्यों बेचैन है जन । चुपचाप जनमत को परखते रहे और परिवर्तन की नींव गढ़ते रहे सत्ता के शोर में जो जनादेश सरकार सुन नहीं पा रही थी उसे सुना उन्होंने और ली उसे मकसद बनाने की शपथ । उसी शपथ को अब सिंहासन की शक्ल में उन्हें वक्त ने लौटा दिया है जो लोग उन्हें ज़मीनी राजनीति के अनमने नायक कह रहे थे। वो अब जान चुके हैं कि विजय की शानदार पटकथा लिखने की कला कमलनाथ जानते हैं वो अच्छी तरह ये जानते है कि अवसर को उपलब्धियों में कैसे बदला जाता है और उम्मीद को बदलाव का चेहरा बनाने का तरीका क्या है । परिणाम बताते हैं कि फार्मूला कमलनाथ कामयाब रहा और अब अवाम ये दुआ कर रहा है कि सीएम कमलनाथ भी कामयाब हों आमीन।