जानिए आखिर इस साल दो दिन क्यों मनाई जा रही है महाशिवरात्रि
जानिए आखिर इस साल दो दिन क्यों मनाई जा रही है महाशिवरात्रि
रायपुर। देश भर में महाशिवरात्रि मनाई जा रही है और हर जगह शिवालयों में सुबह से ही बम-बम भोले, ऊं नम: शिवाय और हर-हर महादेव के जयकारों के साथ श्रद्धालु भगवान शंकर का अभिषेक कर रहे हैं। उज्जैन के विश्वप्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में महाकाल के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। मंगलवार तड़के महाकाल की भस्म आरती और विशेष पूजा की गई।
#MadhyaPradesh: Special prayers performed at Ujjain’s Mahakaleshwar temple on #MahaShivRatri pic.twitter.com/kVewJugXla
— ANI (@ANI) February 13, 2018
छत्तीसगढ़ के राजिम में इन दिनों राजिम कुंभ लगा है। महाशिवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालुओं ने महानदी में डुबकी लगाई।
#Chattisgrah: Devotees take holy dip in Mahanadi river at ‘Rajim Kumbh’ in Rajim on the occasion of #MahaShivaratri pic.twitter.com/660SND0oNJ
— ANI (@ANI) February 13, 2018
महाराष्ट्र के पुणे स्थित प्रसिद्ध भीमाशंकर मंदिर में भी श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। तड़के से ही बड़ी संख्या में पहुंचे लोग भगवान शिव के दर्शन और उनकी पूजा-अर्चना कर रहे हैं।
#Maharashtra: Devotees perform special prayers at Bhīmashankar temple near Pune #MahaShivaratri pic.twitter.com/ZyDDf4w7pV
— ANI (@ANI) February 13, 2018
वैसे कुछ जगहों पर महाशिवरात्रि का त्योहार बुधवार को भी मनाई जाएगी। आप सोच रहे होंगे कि महाशिवरात्रि आखिर दो दिन कैसे मनाई जा रही है, तो हम आपको बताते हैं इसका कारण। दरअसल, महाशिवरात्रि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। इस साल मंगलवार यानी 13 फरवरी को रात 10.30 के बाद चतुर्दशी शुरू हो रही है, जो 14 फरवरी की रात 12.47 पर समाप्त होगी। धर्मविदों के मुताबिक जिस दिन त्रयोदशी और चतुर्दशी का संयोग होता है, महाशिवरात्रि का व्रत उस दिन रखा जा सकता है। अब चूंकि इस साल मंगलवार और बुधवार दोनों ही दिन ये संयोग बन रहा है, इसलिए उत्तर भारत, पश्चिम भारत और दक्षिण भारत में 13 फरवरी को ही महाशिवरात्रि मनाई जा रही है। दूसरी ओर, पूर्वी भारत में ज्यादातर स्थानों पर 14 फरवरी यानी बुधवार को महाशिवरात्रि होगी।
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अब आपके जेहन में एक और सवाल ये उठ रहा होगा कि जब महाशिवरात्रि दो दिन है तो फिर पूर्वी भारत में ही इसे 14 फरवरी को क्यों मनाया जा रहा है? दरअसल, ज्योतिषीय गणना के मुताबिक स्थान के आधार पर पंचांग भी बदल सकते हैं और इसे इसी से जोड़कर देखा जा सकता है। इसके बावजूद अगर आपके मन में कोई दुविधा हो तो आप अपने पास के किसी स्थानीय पूजा स्थल पर किसी जानकार पुरोहित से या ज्योतिष से सटीक जानकारी हासिल कर सकते हैं।
वेब डेस्क, IBC24

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