रावत ने 1994 के उत्तराखंड आंदोलन में पुलिस की गोली से जान गंवाने वाले कार्यकर्ताओं को श्रद्धांजलि दी

रावत ने 1994 के उत्तराखंड आंदोलन में पुलिस की गोली से जान गंवाने वाले कार्यकर्ताओं को श्रद्धांजलि दी

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  • Publish Date - October 2, 2020 / 01:26 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:10 PM IST

मुजफ्फरनगर/देहरादून, दो अक्टूबर (भाषा) उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने पृथक राज्य की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन के दौरान 1994 में रामपुर तिराहे पर पुलिस की गोलीबारी में मारे गए छह कार्यकर्ताओं को शुक्रवार को श्रद्धांजलि दी।

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के रामपुर तिराहे पर आयोजित एक कार्यक्रम में रावत ने इस घटना को अविभाजित उत्तर प्रदेश के इतिहास पर ‘‘कलंक’’ बताया और कहा कि उनकी सरकार उत्तराखंड को आंदोलनकारियों के सपने का राज्य बनाने में जुटी हुई है।

पृथक उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर कार्यकर्ता धरना देने के लिए दो अक्टूबर, 1994 को दिल्ली जा रहे थे, तभी पुलिस ने रामपुर तिराहे पर उनपर गोलीबारी की थी, जिसमें छह कार्यकर्ता मारे गए। प्रदर्शन में शामिल कुछ कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि पुलिस ने उसमें शामिल महिलाओं के साथ छेड़खानी भी की थी।

रावत ने कहा, ‘‘दो अक्टूबर कई कारणों से याद रखने वाला दिन है। महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री जैसे दो महान नेताओं की जन्मतिथि मनाने के अलावा हमें रामपुर तिराहा गोलीबारी कांड को भी याद रखना चाहिए, जो अविभाजित उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के इतिहास पर काला धब्बा है।’’

उत्तराखंड के सभी लोगों के लिए दो अक्टूबर को ‘‘काला दिन’’ बताते हुए रावत ने कहा कि राज्य सरकार समृद्ध उत्तराखंड के सपने को वास्तविकता में बदलने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।

उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के कई नेता रावत के साथ रामपुर तिराहे पर बने शहीद स्थल पर मौजूद थे।

उत्तर प्रदेश के पुनर्गठन के बाद नौ नवंबर, 2000 को उत्तराखंड अस्तित्व में आया।

भाषा अर्पणा माधव

माधव