नाले में तब्दील हो चुकी थी नदी, जनभागीदारी से फिर बहने लगी नदी
नाले में तब्दील हो चुकी थी नदी, जनभागीदारी से फिर बहने लगी नदी
साथी हाथ बढ़ाना एक अकेला थक जाएगा मिलकर बोझ उठाना …. आपको फिल्म नया दौर का ये सीक्वेंस सांग तो याद होगा ही जब ग्रामीण मिलकर एक दूसरे के सहयोग से निर्माण को अंजाम देते है ऐसा ही कुछ कर दिखाना नरसिंहपुर के स्थानीय,प्रशासन और समाज के प्रबुद्धजनों ने जहां अपना अस्तित्व खो रही जिले की जीवनदायनी सींगरी नदी को बचाने का बीड़ा ऐसा उठाया कि देखते ही देखते एक सप्ताह में नाले में तब्दील हुई नदी फिर से कलकल बहने लगी।
जी हां ऐसा ही कुछ इन दिनों नरसिंहपुर में भी देखने को मिल रहा है नरसिंहपुर की जीवनदायनी सिंगरी नदी को बचाने हर कोई न केवल श्रमदान बल्कि बड़ी बड़ी मशनरी को लगाकर सिंगरी के अस्तित्व को बचाने से लिये आगे आ रहे है जनभागीदारी से सिंगरी के पुनःजीवन का संकल्प के साथ और श्रमदान करने लोगों का ऐसा जन करवा जुटा की फिर प्रशासन और जनप्रतिनिधि भी जल संकट से निपटने और सींगरी के अस्तित्व को बचाने जुट गए स्थानीयों की जन भावना को देख खुद कलेक्टर भी पूरे प्रशासनिक अमले के साथ हाथांे में तगाड़ी फावड़ा लिए खुद भी जुट गए और देखते ही देखते स्थानीय भी बड़ी बड़ी मशीनरी लेकर घाटों के चैड़ीकरण से लेकर गहरीकरण को अंजाम देने लगे स्थानीय मीडिया और समाजसेवी जनसभागिता से नदी को बचाने और उसके कायाकल्प में एक सप्ताह से जुटे हुए है।
विचार मंच के संस्थापक सदस्य ने भी जनभागीदारी से नदियों के संरक्षण के लिए स्थानीयों की पहल की सराहना करते हुए कहाँ की यदि व्यक्ति खुद जागरूक हो जाये तो कोई भी समस्या ज्यादा दिन तक नही टिक सकती
घाटो के चैड़ीकरण के बाद पूरी तरह सूख चुकी सिंगरी में नहर में माध्यम से कलेक्टर की पहल पर नर्मदा का जल छोड़ा गया जिससे सींगरी के बंद पड़े रास्तो को दिशा दी जा सके जैसे ही पावन नर्मदा का जल सींगरी में आया बच्चे भी मस्ती से पानी मे चहलकदमी करने लगे इसे देख स्थानिय शहरवासियों में भी खासा उत्साह देखा गया।
जनसहभागिता का ये अनुपम उदाहरण उनके लिए भी किसी सबक से कम नही है जो हर बात के लिए शासन प्रशासन की ओर ताकते नजर आते है बरहाल आज नरसिंहपुर की ये आस्थावान नदी फिर से अपने पुराने अतीत की ओर अपना रुख कर चुकी है और फिर से अपनी अविरल जल धारा से जिले को नया जीवन दे रही है।

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