'धुर विरोधी' से 23 साल बाद घर जाकर मिले सिंधिया, क्या हैं इस मुलाकात के मायने...जानिए | Scindia met a 'radical opponent' after going home after 23 years, what is the meaning of this meeting ... know

‘धुर विरोधी’ से 23 साल बाद घर जाकर मिले सिंधिया, क्या हैं इस मुलाकात के मायने…जानिए

'धुर विरोधी' से 23 साल बाद घर जाकर मिले सिंधिया, क्या हैं इस मुलाकात के मायने...जानिए

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:01 PM IST, Published Date : June 12, 2021/10:28 am IST

ग्वालियर। बीजेपी ज्वाइन करने के बाद राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने अपनी छति बदलने की पहल शुरू कर दी है, और स्वयं को वे एक सर्वमान्य नेता के रूप में सामने लाने में लग गए हैं। यह बात इसलिए कह रहे हैं क्यों कि वे छोटे से लेकर बड़े नेताओं तक के घर जाकर मुलाकात कर रहे हैं। भले ही वे कभी उनके धुर विरोधी ही क्यों न रहे हों। ग्वालियर में शुक्रवार को कुछ ऐसा ही देखने को मिला जब सिंधिया पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया (Jaibhan Singh Pawaiya) से मिलने पहुंचे।

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सिंधिया परिवार की 23 साल से पूर्व मंत्री पवैया से अदावत चल रही थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया आज खुद उनके घर जाकर मुलाकात की है। जाहिर है अब नए रिश्ते की शुरुआत हो रही है। एमपी की राजनीति में कभी जयभान सिंह पवैया और ज्योतिरादित्य सिंधिया एक-दूसरे के घर नहीं गए। शुक्रवार को पहली बार ज्योतिरादित्य सिंधिया, जयभान सिंह पवैया के निवास पर पहुंचे। दरअसल, बीते 20 अप्रैल को जयभान सिंह पवैया के पिता का निधन हो गया था। ज्योतिरादित्य सिंधिया सांत्वना देने उनके घर पहुंचे थे। लेकिन यह मुलाकात भी अब मध्यप्रदेश की सियासत में चर्चा का विषय बन गई।

इस दौरान दोनों नेताओं के बीच बंद कमरे में करीब 20-25 मिनट तक बात हुई। मुलाकात के बाद बाहर निकले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बड़ा बयान दिया और कहा कि जयभान सिंह पवैया से नया संबंध, नया रिश्ता कायम करने की कोशिश की है, अतीत-अतीत होता है, वर्तमान-वर्तमान होता है। हम दोनों भविष्य में आगे काम करेंगे।

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फ्लैश बैक में चले तो जयभान सिंह पवैया और सिंधिया परिवार के बीच सियासी अदावत पिछले 23 साल से चली आ रही है। सन 1998 में जयभान सिंह पवैया ने तत्कालीन कांग्रेस नेता और ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया के खिलाफ ग्वालियर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था। उस चुनाव में सिंधिया और पवैया के बीच कड़ा मुकाबला हुआ था। माधवराव सिंधिया महज 28 हजार वोट से चुनाव जीते थे। माधवराव सिंधिया ने इस मामूली जीत के बाद नाराज होकर आगे ग्वालियर से चुनाव नहीं लड़ा। उसके बाद माधवराव सिंधिया गुना चले गए।

माधवराव सिंधिया के बाद पवैया और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच भी यह सियासी अदावत जारी रही। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में गुना लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ जयभान सिंह पवैया ने बीजेपी से चुनाव लड़ा। यहां भी कांटे का मुकाबला हुआ। चार लाख से जीतने वाले सिंधिया की जीत एक लाख बीस हजार पर रुक गई थी।

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जयभान सिंह पवैया की सियासी अदावत भले ही माधवराव ओर ज्योतिरादित्य सिंधिया से रही हो, लेकिन पवैया राजमाता विजयाराजे सिंधिया के करीब रहे हैं। पवैया जनसंघ से लेकर बीजेपी तक में राजमाता से जुड़े रहे हैं। बजरंगदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहने के दौरान बाबरी आंदोलन में अगुआ रहे है। हालांकि, यशोधरा राजे सिंधिया और पवैया दोनों के बीच भी सियासी रिश्ते सामान्य रहे हैं।

मध्यप्रदेश में जयभान सिंह पवैया बीजेपी के फायर ब्रांड नेता माने जाते हैं। शिवराज सरकार में लंबे समय तक मंत्री रहे हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में वह चुनाव हार गए थे। बीजेपी में सिंधिया की एंट्री के वक्त उनकी नाराजगी सामने आई थी लेकिन बाद में सब कुछ सामान्य हो गया था।

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