छत्तीसगढ़ में टोनही संदेह के 1357 मामले, आरटीआई से मिली जानकारी | Tonhi Pratha In Cg:

छत्तीसगढ़ में टोनही संदेह के 1357 मामले, आरटीआई से मिली जानकारी

छत्तीसगढ़ में टोनही संदेह के 1357 मामले, आरटीआई से मिली जानकारी

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:30 PM IST, Published Date : June 17, 2018/11:43 am IST

रायपुर। अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ. दिनेश मिश्र ने बताया कि अंधविश्वास व जादू-टोने की मान्यता के कारण छत्तीसगढ़ में टोनही के संदेह में पिछले 10 वर्षों में प्रताडऩा के 1357 मामले सामने आये हैं।  टोनही प्रताडऩा के मामले को फास्ट ट्रेक कोर्ट में चलाये जाने की मांग की तथा प्रताडि़त महिलाओं को मुआवजा व पुनर्वास के लिए योजना बनाये जाने की मांग की है।

डॉ. मिश्र ने बताया उन्होंने सूचना के अधिकार के अधिनियम के अंतर्गत छत्तीसगढ़ शासन से जानकारी मांगी थी जिसमें उन्हें पुलिस विभाग, छत्तीसगढ़ से जानकारी प्राप्त हुई है कि सन् 2006 से सन् 2017 तक प्रदेश में 1357 महिलाओं की टोनही के संदेह में प्रताडऩा हुई है। ये मामले 27 जिलों से मिली जानकारी के अनुसार हैं। इनमें से सर्वाधिक मामले सरगुजा, जशपुर, कोरिया, सूरजपुर, बलरामपुर, बिलासपुर, कबीरधाम, रायपुर, दुर्ग जिले के हैं। अंधविश्वास के कारण टोनही के संदेह में प्रताडऩा के मामले अब तक निराकृत नहीं हैं, कुछ मामलों में तो अब तक न ही चालान पेश हो पाया है और न ही एफआईआर तक दर्ज हुई है, जिसके कारण न ही उन महिलाओं को मुआवजा मिल पाया है न ही पुनर्वास हो पाया है तथा न ही कोई अन्य मदद मिल पायी है, जिससे वे गाँवों में बहिष्कृत जीवन जीने को मजबूर हैं। समिति को यह भी जानकारी है कि करीब 300 से अधिक महिलाओं की हत्या इस जादू-टोने के आरोप में हो चुकी है।

 

डॉ. दिनेश मिश्र ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर मांग की है कि टोनही प्रथा पर रोकथाम के लिए इन बातों को धयान दिया जाये। 

1. टोनही प्रताडऩा के प्रकरणों में राज्य में बनाये गये विशेष कानून को लागू कर कार्यवाही हो।

 2. पीडि़त महिलाओं के पुनर्वास हेतु आर्थिक मदद दी जाए। 3. राज्य शासन द्वारा आसानी से पीडि़त महिलाओं तथा लम्बित प्रकरणों की सूची तैयार कराई जा सकती है, जिसके अनुसार प्रताडि़त महिलाओं को कम से कम 25 हजार रूपए उनके जीवन-यापन / पुनर्वास हेतु दिया जा सकता है। 

4. आरोपियों को सजा दिलाने के लिए डायन प्रताडि़त महिलाओं के प्रकरण ‘फास्ट ट्रेक कोर्टÓ में चलाने की व्यवस्था की जा सकती है।

 5. टोनही प्रताडि़त महिला को आँगनबाड़ी केन्द्रों या स्थानीय स्तर पर चल रहे शासकीय परियोजनाओं से जोड़ा जा सकता है, ताकि उनके सामाजिक बहिष्कार जैसी स्थिति का निवारण हो।

 6. टोनही प्रताडि़त महिला के संरक्षण हेतु स्थानीय पुलिस थाने / चौकी को निर्दिष्ट किया जा सकता है, कि वे प्रताडऩा की पुनरावृत्ति रोकने एवं महिला एवं उसके परिवार के पुनर्वास में मदद करें तथा जनजागरण अभियान चलाया जावे ताकि इस सामाजिक कुरीति का समाज से निर्मूलन किया जावे। इस अभियान हेतु अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति सहयोग करने तैयार है।