उप्र में आपराधिक मामले वापस लेने के भाजपा सरकार के कदम को लेकर विधानसभा में हंगामा

उप्र में आपराधिक मामले वापस लेने के भाजपा सरकार के कदम को लेकर विधानसभा में हंगामा

उप्र में आपराधिक मामले वापस लेने के भाजपा सरकार के कदम को लेकर विधानसभा में हंगामा
Modified Date: November 29, 2022 / 08:27 pm IST
Published Date: March 2, 2021 10:15 am IST

लखनऊ, दो मार्च (भाषा) उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार द्वारा आपराधिक मामले वापस लिए जाने के मुद्दे पर राज्य विधानसभा में मंगलवार को सत्तारूढ़ दल और विपक्ष के बीच तीखी नोक झोंक हुई।

विधानसभा में हुए हंगामे के दौरान समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने अध्यक्ष के आसन के समीप आकर नारेबाजी की। आपराधिक मामले वापस लिए जाने के मुद्दे पर सदन में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप देखने को मिला।

भाजपा सदस्‍यों ने आरोप लगाया कि राज्य में पिछली सरकार (सपा की सरकार ) में आतंकवादियों के खिलाफ मामले वापस ले लिए गये थे, जबकि विपक्षी सदस्‍यों ने दावा किया कि मौजूदा भाजपा सरकार ने ‘दंगाइयों’ के खिलाफ मामले वापस लिए हैं।

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प्रश्‍नकाल के दौरान बहुजन समाज पार्टी के सदस्‍य श्‍यामसुंदर शर्मा ने सरकार से अप्रैल 2017 से 2020 के बीच वापस लिए गए मुकदमों की संख्‍या के बारे में पूछा, जिसके जवाब में कानून मंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि अप्रैल 2017 से जुलाई 2020 तक ‘जनहित’ में 670 मामले वापस लिए, जो राजनीतिक दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं से संबंधित हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार गठन के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने न्यायपालिका का बोझ कम करने के लिये ‘राजनीतिक मामलों’को वापस लेने की घोषणा की थी।

प्रश्नकाल के दौरान अपने पूरक प्रश्न में शर्मा ने पूछा था कि प्रदेश सरकार ने कितने राजनीतिक मामले वापस लिये हैं और उन लोगों की सूची मांगी थी, जिनके खिलाफ ये मामले वापस लिये गए हैं और उनका किस दल से नाता था।

कानून मंत्री ने एक पूरक प्रश्न के जवाब में कहा कि राजनीतिक मामलों को परिभाषित नहीं किया है, लेकिन कम गंभीर आरोप वाले मामलों को वापस लिया गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, दलीय आधार पर ब्योरा देना उचित नहीं होगा। उन्‍होंने कहा कि यदि (विधानसभा) अध्‍यक्ष अनुमति देंगे, तो मैं उन व्‍यक्तियों का नाम बता सकता हूं, जिनके मामले वापस लिए गये हैं।’’

इस पर, विधानसभा अध्‍यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि इसकी जरूरत नहीं है।

मंत्री ने किसी दल का नाम लिए बगैर कहा कि पिछली सरकार ने उन आतंकवादियों के मामले वापस लिए थे, जिनके खिलाफ विस्‍फोटक पदार्थ अधिनियम और पोटा के तहत मामले दर्ज थे।

मंत्री के जवाब से असंतुष्‍ट नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने सरकार पर आरोप लगाया कि उसने अपने लोगों के ही मामले वापस लिए हैं।

चौधरी ने दावा किया, ”यहां तक कि मुख्‍यमंत्री ने खुद अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को वापस ले लिया है।” साथ ही, सपा सदस्‍यों ने अध्यक्ष के आसन के समीप आकर हंगामा किया और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली राज्य की भाजपा सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।

बसपा के विधायक दल के नेता लालजी वर्मा ने मंत्री के जवाब पर असंतोष प्रकट करते हुए कहा कि उन्हें सवाल का उपयुक्त जवाब देना चाहिए।

हालांकि, पाठक ने जोर देकर कहा कि उनकी सरकार भविष्‍य में भी ‘राजनीतिक मामलों’ को वापस लेना जारी रखेगी।

भाषा आनन्‍द निहारिका सुभाष दिलीप

दिलीप


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