WhatsApp Ban: अब सांसद नहीं चला पाएंगे व्हाट्स एप्प, तत्काल डिलीट करने के आदेश जारी, जानिए अमेरिकी सरकार ने क्यों लिया फैसला…

WhatsApp Ban: क्या आप भी WhatsApp का इस्तेमाल करते हैं और सोचते हैं कि ये पूरी तरह सुरक्षित है? लेकिन अमेरिकी सरकार को ऐसा नहीं लगता!

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Modified Date: June 25, 2025 / 01:47 PM IST
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Published Date: June 25, 2025 1:15 pm IST
WhatsApp Ban: अब सांसद नहीं चला पाएंगे व्हाट्स एप्प, तत्काल डिलीट करने के आदेश जारी, जानिए अमेरिकी सरकार ने क्यों लिया फैसला…
HIGHLIGHTS
  • अमेरिकी हाउस ने सरकारी डिवाइसेज पर WhatsApp बैन किया
  • साइबर अटैक और डेटा लीक का खतरा बनी वजह
  • Signal, Microsoft Teams जैसे ऐप्स यूज करने की सलाह
  • Meta ने फैसले की निंदा की, कहा- WhatsApp है सिक्योर

WhatsApp Ban: क्या आप भी WhatsApp का इस्तेमाल करते हैं और सोचते हैं कि ये पूरी तरह सुरक्षित है? लेकिन अमेरिकी सरकार को ऐसा नहीं लगता! हाल ही में एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जिसमें US हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स ने अपने कर्मचारियों को सरकारी डिवाइसेज से WhatsApp हटाने का आदेश दिया है। आखिर क्यों लिया गया ये बड़ा फैसला? और क्या भारत में भी ऐसा कुछ हो सकता है?

WhatsApp क्यों किया गया बैन?

अमेरिकी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स, जो वहाँ की संसद का निचला सदन है, ने अपने स्टाफ और ऑफिसर्स को साफ कह दिया है कि वो सरकारी मोबाइल, लैपटॉप, डेस्कटॉप या वेब ब्राउजर पर WhatsApp का इस्तेमाल नहीं कर सकते। ये फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि सरकार को डर है कि WhatsApp के जरिए साइबर अटैक हो सकता है, जिससे गोपनीय सरकारी जानकारी लीक हो सकती है।

किसने दिया ये आदेश?

ये आदेश हाउस के चीफ एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर (CAO) के ऑफिस ऑफ साइबर सिक्योरिटी ने जारी किया है। सोमवार को एक ईमेल के जरिए सभी कर्मचारियों को बताया गया कि WhatsApp को “हाई-रिस्क” ऐप माना गया है। इसका मतलब है कि इस ऐप के जरिए डेटा की चोरी या हैकिंग का खतरा ज्यादा है।

साइबर अटैक का डर

जब बात सरकारी डेटा की होती है, तो कोई जोखिम नहीं लिया जा सकता। अमेरिकी सरकार को लगता है कि WhatsApp के जरिए हैकर्स उनके बड़े नेताओं या ऑफिसर्स के फोन में सेंध लगा सकते हैं। उदाहरण के लिए, जनवरी 2025 में WhatsApp ने खुलासा किया था कि इजरायली स्पायवेयर कंपनी Paragon Solutions ने पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया था। ऐसे में सरकार का डर जायज लगता है।

डेटा ट्रांसपेरेंसी की कमी

रिपोर्ट्स के मुताबिक, WhatsApp की डेटा सिक्योरिटी को लेकर पारदर्शिता की कमी है। यानी, ये साफ नहीं है कि यूजर का डेटा कैसे स्टोर होता है और उसकी सुरक्षा कैसे की जाती है। साथ ही, स्टोर्ड डेटा के लिए एन्क्रिप्शन की कमी भी एक बड़ा मुद्दा है।

WhatsApp की जगह कौन से ऐप्स?

अमेरिकी हाउस ने अपने कर्मचारियों को WhatsApp की जगह कुछ और सिक्योर ऐप्स इस्तेमाल करने की सलाह दी है। इनमें शामिल हैं:

  • Signal: प्राइवेसी के लिए मशहूर, एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन
  • Microsoft Teams: ऑफिशियल कम्युनिकेशन के लिए भरोसेमंद
  • Wickr: सिक्योर मैसेजिंग के लिए जाना जाता है
  • iMessage और FaceTime: Apple के अपने सिक्योर ऐप्स

साथ ही, कर्मचारियों को अनजान नंबरों से आने वाले मैसेज और फिशिंग स्कैम से सावधान रहने को कहा गया है।

Meta का जवाब: WhatsApp है सिक्योर!

WhatsApp की मालिक कंपनी Meta ने इस फैसले की कड़ी निंदा की है। Meta के प्रवक्ता Andy Stone ने कहा, “हम CAO के इस फैसले से बिल्कुल सहमत नहीं हैं। WhatsApp के मैसेज डिफॉल्ट रूप से एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड होते हैं, यानी कोई तीसरा व्यक्ति, यहाँ तक कि WhatsApp भी, उन्हें पढ़ नहीं सकता।” उन्होंने ये भी कहा कि सीनेट में WhatsApp का इस्तेमाल अभी भी Allowed है, और वो चाहते हैं कि हाउस भी इसे दोबारा अपनाए।