नई दिल्ली : राहुल गाँधी आज से अपनी नई सियासी इबारत लिखने रवाना हो चुके हैं। वह मणिपुर से मुंबई तक भारत जोड़ो न्याय यात्रा की शुरुआत कर चुके हैं। कांग्रेस की यह ऐतिहासिक यात्रा उनकी पहली यात्रा का दूसरा चरण माना जा रहा हैं. माना यह भी जा रहा हैं कि राहुल गांधी समेत समूची कांग्रेस पिछले विधानसभा चुनाव में मिले हर के गम को भुलाकर एक नई शुरुआत के लिए आगे बढ़ चुकी हैं। हालाँकि इस बार राहुल गांधी के साथ उनके पुराने साथी नहीं हैं। कभी राहुल गांधी के पांच रत्न मानें जाने नेताओ में से चार पार्टी का दामन छोड़ चुके हैं। पुराने साथियों में अब सिर्फ एक ही राहुल गांधी के साथ नजर आ रहे है। हालाँकि एक मौका ऐसा भी आया जब वह नेता भी पार्टी से किनारा करते हुए नजर आएं लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
दरअसल राहुल के सबसे भरोसेमंद नेताओ में शुमार महाराष्ट्र मूल के नेता मिलिंद देवड़ा ने पार्टी का दामन छोड़ दिया। उन्होंने यह फैसला तब किया जब कांग्रेस लोकसभा के लिए यात्रा के तौर पर एक नई शुरुआत कर रही है। मिलिंद देवड़ा ने अपने इस्तीफे की खबा सोशल मीडिया पर साझा की। यह बेहद चौंकाने वाली खबर रही क्योंकि संभवतः कांग्रेस के नेताओं को भी इस बात का इल्म नहीं था कि देवड़ा इतनी आसानी से कांग्रेस को अलविदा कह देंगे। पार्टी की तरफ से उनके इस्तीफे पर महासचिव जयराम रमेश ने आधिकारिक प्रतिक्रिया दी हैं। पीटीआई के खबर के हवाले से जयराम रमेश ने देवड़ा के इस्तीफे की टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए बताया हैं कि “देवड़ा ने इस शुक्रवार को उनसे फोन पर बात की थी और कहा कि वह मुंबई साउथ लोकसभा सीट पर उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के दावे पर राहुल गांधी से बात करना चाहते हैं. मिलिंद देवड़ा और उनके पिता मुरली देवड़ा दोनों मुंबई साउथ से सांसद रह चुके हैं।”
कांग्रेस महासचिव ने कहा, “देवड़ा ने कहा कि उन्हें चिंता है कि यह मौजूदा शिवसेना की सीट है, वह राहुल गांधी से मिलना चाहते थे और उन्हें सीट के बारे में बताना चाहते थे और यह भी चाहते थे कि मैं राहुल गांधी से इस बारे में बात करूं। जयराम ने आरोप लगाया कि जाहिर तौर पर यह सब एक तमाशा था और उन्होंने जाने का मन बना लिया था और उनके पार्टी छोड़ने की घोषणा करने का समय स्पष्ट रूप से प्रधानमंत्री द्वारा निर्धारित किया गया था।
लेकिन सवाल सिर्फ मिलिंद देवड़ा का ही नहीं है। पार्टी के भीतर कई ऐसे मौके आये जब युवा नेताओं ने अचानक ही पार्टी से नाता तोड़ लिया। इनमे कई की वजहें तो सार्वजानिक रही लेकिन कुछ ने मौन रहकर अपना नया सियासी रुख अख्तियार कर लिया। इनमें मध्यप्रदेश के कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम शामिल हैं। सीएम बनने की छह रखने वाले सिंधिया ने 2018 विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद ना सिर्फ पार्टी छोड़ी थी बल्कि 19 विधायक तोड़कर कांग्रेस की एमपी में बनी-बनाई सरकार को भी ढहा दिया था।
इसी तरह राहुल गांधी के बेहद करीबियों में एक नाम आरपीेएन सिंह का भी रहा। आरपीेएन कांग्रेस के लोकप्रिय चेहरों में से एक थे लेकिन उन्होंने 2022 जनवरी में कांग्रेस से नाता तोड़ लिया। करीब 60 साल के आरपीएन सिंह की कांग्रेस के अंदर क्या अहमियत थी, उसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें पिछले 32 बरसों से पार्टी में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी जाती रही थी। यूपी विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने उन्हें स्टार प्रचारकों की लिस्ट में सोनिया गांधी, राहुल और प्रियंका के साथ जगह दी थी। वह यूपी के एक राज परिवार से ताल्लुक रखते हैं। लेकिन कांग्रेस उन्हें रोक पाने में नाकाम रही।
राहुल के करीबी नेताओं में शुमार जितिन प्रसाद भी थे, जो पहले केंद्रीय मंत्री भी रहे थे और राहुल गांधी के बेहद करीबी मानें जाते थे। लेकिन उन्होंने भी 2021 में कांग्रेस छोड़ दी थी। जितिन प्रसाद भी बीजेपी में शामिल हो गए थे। ये वो दौरा था जब प्रसाद उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के शीर्ष ब्राह्मण चेहरे थे। अपने फैसले का बचाव करते हुए उन्होंने कहा था कि भाजपा एकमात्र वास्तविक राजनीतिक पार्टी है।
आज पार्टी छोड़ने वालों मिनीद देवड़ा का नाम भी जुड़ गया। देवड़ा ने अपने एक्स पोस्ट पर लिखा ‘आज मेरी राजनीतिक यात्रा के एक महत्वपूर्ण अध्याय का समापन हुआ। कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से मैंने अपना त्यागपत्र दे दिया है। पार्टी के साथ मेरे परिवार का 55 साल पुराना रिश्ता आज खत्म हो गया है। मैं वर्षों से उनके अटूट समर्थन के लिए सभी नेताओं, सहकर्मियों और कार्यकर्ताओं का आभारी हूं.’ इस तहा देखा जाएँ तो अब मात्र राजस्थान के युवा नेता सचिन पायलट ही राहुल के एकमात्र रत्न पार्टी में बाकी रह गये।
कांग्रेस नेताओं के पार्टी छोड़ने की लिस्ट काफी लम्बी हैं फिर भी प्रमुख नेताओं में अबतक मिलिंद देवड़ा, कपिल सिब्बल, गुलाम नबी आजाद, हार्दिक पटेल, अश्विनी कुमार, सुनील जाखड़, आर पी एन सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद, अल्पेश ठाकोर और अनिल एंटनी का नाम शामिल हैं।