9 साल की उम्र में ही घर छोड़कर शुरू की धर्म यात्राएं, अंग्रेजों से लिया लोहा, ऐसा था शंकराचार्य स्वरुपानंद सरस्वती का पूरा जीवन

9 साल की उम्र में ही घर छोड़कर शुरू की धर्म यात्राएं, अंग्रेजों से लिया लोहा, Swami Swaroopanand Saraswati passed away, know Life

9 साल की उम्र में ही घर छोड़कर शुरू की धर्म यात्राएं, अंग्रेजों से लिया लोहा, ऐसा था शंकराचार्य स्वरुपानंद सरस्वती का पूरा जीवन

Shankaracharya Swami Swaroopanand Saraswati passed away

Modified Date: November 29, 2022 / 08:09 pm IST
Published Date: September 11, 2022 5:13 pm IST

जबलपुर। Swami Swaroopanand Saraswati passed away : द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्परूपानंद सरस्वती का 99 साल की उम्र में निधन हो गया है। उन्होंने मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर में आखिरी सांस ली। स्वरूपानंद सरस्वती को हिंदुओं का सबसे बड़ा धर्मगुरु माना जाता था।

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ऐसा था पूरा जीवन

स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का जन्म 2 सितम्बर 1924 को मध्य प्रदेश राज्य के सिवनी जिले में जबलपुर के पास दिघोरी गांव में ब्राह्मण परिवार में पिता धनपति उपाध्याय और मां गिरिजा देवी के यहां हुआ था। माता-पिता ने इनका नाम पोथीराम उपाध्याय रखा। नौ वर्ष की उम्र में उन्होंने घर छोड़ कर धर्म यात्रायें प्रारम्भ कर दी थीं। इस दौरान वह काशी पहुंचे और यहां उन्होंने ब्रह्मलीन स्वामी करपात्री महाराज वेद-वेदांग, शास्त्रों की शिक्षा ली।

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Swami Swaroopanand Saraswati passed away : यह वह समय था जब भारत को अंग्रेजों से मुक्त करवाने की लड़ाई चल रही थी। जब 1942 में अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा लगा तो वह भी स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े और 19 साल की उम्र में वह ‘क्रांतिकारी साधु’ के रूप में प्रसिद्ध हुए। इसी दौरान उन्होंने वाराणसी की जेल में नौ और मध्यप्रदेश की जेल में छह महीने की सजा भी काटी। वे करपात्री महाराज की राजनीतिक दल राम राज्य परिषद के अध्यक्ष भी थे। 1950 में वे दंडी संन्यासी बनाये गए और 1981 में शंकराचार्य की उपाधि मिली। 1950 में शारदा पीठ शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती से दण्ड-सन्यास की दीक्षा ली और स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती नाम से जाने जाने लगे।

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चारों दिशाओं में चार धार्मिक राजधानियां बनाईं

Swami Swaroopanand Saraswati passed away : हिंदुओं को संगठित करने की भावना से आदिगुरु भगवान शंकराचार्य ने 1300 वर्ष पूर्व भारत के चारों दिशाओं में चार धार्मिक राजधानियां (गोवर्धन मठ, श्रृंगेरी मठ, द्वारका मठ एवं ज्योतिर्मठ) बनाईं | जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी दो मठों (द्वारका एवं ज्योतिर्मठ) के शंकराचार्य थे | शंकराचार्य का पद हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण है,हिंदुओं का मार्गदर्शन एवं भगवत् प्राप्ति के साधन आदि विषयों में हिंदुओं को आदेश देने के विशेष अधिकार शंकराचार्यों को प्राप्त होते हैं | सभी हिंदूओं को शंकराचार्यों के आदेशों का पालन करना चाहिये।

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