बरेली हिंसा का मकसद कानपुर के अखिलेश दुबे मामले से ध्यान भटकाना : अखिलेश यादव

बरेली हिंसा का मकसद कानपुर के अखिलेश दुबे मामले से ध्यान भटकाना : अखिलेश यादव

बरेली हिंसा का मकसद कानपुर के अखिलेश दुबे मामले से ध्यान भटकाना : अखिलेश यादव
Modified Date: October 9, 2025 / 07:17 pm IST
Published Date: October 9, 2025 7:17 pm IST

लखनऊ, नौ अक्टूबर (भाषा) समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने कानपुर में अखिलेश दुबे मामले से जुड़े विवाद से जनता का ध्यान भटकाने के लिए बरेली में “जानबूझकर हिंसा करवाई।”

अखिलेश ने लखनऊ में एक संवाददाता सम्मेलन में राज्य सरकार पर “कानून-व्यवस्था बनाए रखने में विफल” होने का भी आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों ने हिंसा के बाद उन्हें और पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल को बरेली जाने से रोकने के लिए राजनीतिक दबाव में काम किया।

बरेली में 26 सितंबर को जुमे की नमाज के बाद हिंसा भड़क उठी थी। इस मामले में इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा खां समेत बड़ी संख्या में लोगों को गिरफ्तार किया गया है। साथ ही कथित तौर पर आरोपियों से जुड़ी संपत्तियों पर बुलडोजर चलाया गया है।

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सपा प्रमुख ने आरोप लगाया, “सच्चाई यह है कि कानपुर में अखिलेश दुबे मामले से ध्यान भटकाने के लिए जानबूझकर बरेली की घटना को अंजाम दिया गया।”

उन्होंने कहा, “कानपुर में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी तैनाती-तबादले को लेकर अंदरूनी कलह में उलझे हुए हैं। पुलिस के भीतर भ्रष्टाचार को दूर करने के बजाय सरकार ने अपनी नाकामियों से ध्यान भटकाने के लिए बरेली में अराजकता फैलाई।”

कानपुर के वकील अखिलेश दुबे को जमीन हड़पने और भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में हाल ही में गिरफ्तार किया गया था। दुबे से करीबी को लेकर कई पुलिस अधिकारी भी जांच के घेरे में हैं।

अखिलेश ने राज्य प्रशासन पर दुबे को बचाने और बरेली में निर्दोष नागरिकों को निशाना बनाने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा, “अखिलेश दुबे पर बुलडोजर क्यों नहीं चलाया जा रहा है? क्योंकि वरिष्ठ पुलिस अधिकारी उनके दोस्त हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की तथाकथित कतई बर्दाश्त न करने की नीति कुछ ही लोगों के लिए है।”

सपा प्रमुख ने आरोप लगाया कि बरेली के जिलाधिकारी सत्तारूढ़ भाजपा के ‘राजनीतिक एजेंट’ की तरह काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, “यह वही जिलाधिकारी हैं, जिनकी मैंने पहले तबादलों और तैनाती के जरिये चुनावों में हेराफेरी करने के लिए आलोचना की थी।”

अखिलेश ने कहा कि गरीबों और मुसलमानों की संपत्तियां चुन-चुनकर गिराई जा रही हैं।

उन्होंने एक स्थानीय राजस्व अधिकारी के कथित तौर पर अवैध तरीकों से 100 करोड़ रुपये जमा करने संबंधी खबरों का हवाला देते हुए दावा किया, “प्रशासन के पास भाजपा नेताओं के स्वामित्व वाली अवैध इमारतों की सूचियां हैं, लेकिन बुलडोजर कभी उनके दरवाजे तक नहीं पहुंचते।”

अखिलेश ने भाजपा सरकार पर ‘बुलडोजर राजनीति’ में लिप्त होने का आरोप लगाते हुए कहा, “हम गरीबों को सजा देने के लिए बुलडोजर चलाने की संस्कृति के खिलाफ हैं। अगर सरकार ने आंबेडकर और कांशीराम स्मारकों का ठीक से रखरखाव किया होता, तो उनके पत्थर काले नहीं पड़ते।”

अखिलेश ने बुधवार को रामपुर में वरिष्ठ सपा नेता आजम खां के साथ अपनी मुलाकात का भी जिक्र किया और इसे “एक अच्छी एवं सार्थक बातचीत” बताया।

प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई पर जूता उछाले जाने की घटना से जुड़े सवाल पर सपा प्रमुख ने कहा, “जो लोग बुलडोजर और असहिष्णुता की बात करते हैं, वे लोकतांत्रिक संस्थाओं का सम्मान करने का दावा नहीं कर सकते। जूता फेंकने वाले व्यक्ति का भाजपा से संबंध है।”

भाषा

सलीम पारुल

पारुल


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