बहराइच स्थित मसूद गाजी की दरगाह में मौजूद सूर्यकुंड के एएसआई सर्वे की मांग

बहराइच स्थित मसूद गाजी की दरगाह में मौजूद सूर्यकुंड के एएसआई सर्वे की मांग

बहराइच स्थित मसूद गाजी की दरगाह में मौजूद सूर्यकुंड के एएसआई सर्वे की मांग
Modified Date: June 11, 2025 / 07:53 pm IST
Published Date: June 11, 2025 7:53 pm IST

बहराइच (उप्र), 11 जून (भाषा) बहराइच से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद आनंद गोंड ने सूफी संत सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह क्षेत्र में मौजूद ‘सूर्य कुंड’ का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से सर्वे कराए जाने तथा उसका पुनर्निर्माण कराने की मांग की है।

गोंड ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा कि दरगाह क्षेत्र में मौजूद सूर्य कुंड का एएसआई से सर्वे कराए जाने की मांग बहुत पुरानी है।

उन्होंने कहा, ‘बहराइच की जनता दशकों, बल्कि सैकड़ों वर्ष से यह मांग कर रही है।’

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उन्होंने कहा, ‘वीर शिरोमणि महाराजा सुहेलदेव राजभर ने बाहर से आए आक्रांताओं का समूल नाश किया था। उन्हीं महाराजा सुहेलदेव के गुरू श्रृषि बालार्क थे। श्रृषि बालार्क भगवान सूर्य के उपासक थे और जिस स्थान पर उनका आश्रम था वहीं सूर्य कुंड स्थापित है। इस नाते सूर्य कुंड का काफी महत्व है। लोग यहां आते हैं, स्नान करते हैं, मान्यता है कि स्नान से उनके चर्म रोग ठीक हो जाते हैं।’

उन्होंने कहा कि सूर्य कुंड इन दिनों काफी खराब हालत में है, लोगों की इच्छा है कि इसका पुनरुद्धार करके पुनर्निर्माण होना चाहिए और श्रृषि बालार्क के सूर्य कुंड के रूप में इसे भव्य स्वरूप दिया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि हमने यह मांग रखी है कि सूर्यकुंड का विकास हो और वहां श्रृषि बालार्क की प्रतिमा स्थापित हो, इसके लिए इस स्थान का एएसआई के माध्यम से सर्वे कराकर यहां विकास के और भी कार्य कराए जा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि ऐसा करने से श्रृषि बालार्क को सम्मानित करने व उनका गौरव लोगों के सामने लाया जा सकेगा।

स्थानीय लोगों के मुताबिक जिस कुएं को ‘सूर्य कुंड’ बताया जा रहा है, वह दरअसल एक बावली है और इसके पानी से लोग नहाते हैं।

लोगों ने कहा कि यह बावली सूफी संत सैयद सालार मसूद गाजी की मजार से लगभग 50 मीटर की दूरी पर स्थित है।

गोंड ने मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष मंच पर भाषण के दौरान भी दरगाह शरीफ क्षेत्र में स्थित कुंए को ‘सूर्य कुंड’ बताते हुए इसे महाराजा सुहेलदेव के गुरू श्रृषि बालार्क का उपासना स्थल होने का दावा किया था।

मान्यताओं के अनुसार महाराजा सुहेलदेव राजभर ने सन 1034 में बहराइच में चित्तौरा झील के तट पर एक युद्ध में महमूद गजनवी के कथित सेनापति गाजी सैयद सालार मसूद गाजी की हत्या कर दी थी।

गाजी की दरगाह पर हर साल ज्येष्ठ माह में विशाल मेला लगता था, मगर प्रशासन ने इस साल कानून-व्यवस्था का हवाला देकर इस मेले पर रोक लगा दी है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंगलवार को बहराइच के चित्तौरा में थे।

उन्होंने महाराजा सुहेलदेव के स्मारक व प्रतिमा का लोकार्पण करते हुए सुहेलदेव और उनके गुरू बालार्क ऋषि का महिमामंडन किया था। वहीं, सैयद सालार मसूद गाजी को आक्रांता बताते हुए कड़े प्रहार किये थे।

योगी ने कहा था कि ‘गुलामी की मानसिकता से मुक्ति का मतलब है सालार मसूद के नाम पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों पर पूर्ण प्रतिबंध।’

बहराइच के पुराने जनसंघ, वर्तमान भाजपा, आरएसएस, विहिप सहित हिन्दूवादी संगठन पहले भी सूर्य कुंड को बालार्क श्रृषि का उपासना स्थल बताकर इसे अपना बताते रहे हैं। वहीं, मुस्लिम समुदाय के लोग इस पर अपना दावा करते रहे हैं।

भाषा सं सलीम जोहेब

जोहेब


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