संकीर्ण राजनीतिक स्वार्थों में सरकारों का अत्यधिक लिप्त होना चिंताजनक : मायावती

संकीर्ण राजनीतिक स्वार्थों में सरकारों का अत्यधिक लिप्त होना चिंताजनक : मायावती

संकीर्ण राजनीतिक स्वार्थों में सरकारों का अत्यधिक लिप्त होना चिंताजनक : मायावती
Modified Date: October 19, 2025 / 08:48 pm IST
Published Date: October 19, 2025 8:48 pm IST

लखनऊ, 19 अक्टूबर (भाषा) बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने रविवार को कहा कि संकीर्ण राजनीतिक स्वार्थों में सरकारों का अत्यधिक लिप्त होना जनता और राष्ट्रीय हित को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है।

बसपा की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, मायावती ने कहा, ‘संविधान के जनहित और लोक कल्याणकारी उद्देश्यों को त्यागकर, संकीर्ण राजनीतिक स्वार्थों में सरकारों का अत्यधिक लिप्त होना जनता और राष्ट्रीय हित को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। यह देश के स्वाभाविक विकास में बाधा डाल रहा है और इसकी प्रतिष्ठा को प्रभावित कर रहा है। इस पर ध्यान देने की जरूरत है।’

बयान के अनुसार, मायावती ने रविवार को यहां आयोजित पार्टी की अखिल भारतीय बैठक (उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को छोड़कर) को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की।

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मायावती ने विभिन्न राज्यों में पार्टी संगठन की जमीनी तैयारियों और पार्टी का जनाधार बढ़ाने के लिए उनके दिशा-निर्देशों के अनुसार चल रहे कार्यों की राज्यवार समीक्षा की।

उन्होंने कमियों को दूर करने और नए उभरते राजनीतिक हालात के मद्देनजर राज्यों में आगे की तैयारियों के लिए विशिष्ट दिशा-निर्देश भी दिए।

बसपा प्रमुख ने ‘मान्यवर श्री कांशीराम जी स्मारक स्थल’ पर आयोजित उत्तर प्रदेश राज्य स्तरीय बैठक की सफलता का भी जिक्र किया।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश के हर गांव में लाखों लोगों ने सत्ता की चाबी हासिल करके अपना उद्धार करने के लिए जो जोश, उत्साह और तत्परता दिखाई है, उसका अनुसरण अन्य राज्यों को भी करने की जरूरत है।

उन्होंने यह भी कहा, ‘भारत के प्रधान न्यायाधीश के साथ अदालत कक्ष में हुई अभूतपूर्व अप्रिय घटना, हरियाणा के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी द्वारा घृणित जातिवाद के कारण की गई दुखद आत्महत्या और ऐसी ही अन्य परेशान करने वाली घटनाएं संवैधानिक सरकार और सभ्य समाज दोनों के लिए गंभीर चिंता का विषय होनी चाहिए और (इन मामलों में) निश्चित रूप से उचित कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।’

मायावती ने कहा, ‘हालांकि, ऐसा प्रतीत नहीं होता कि सरकार और अन्य जिम्मेदार संस्थाएं/व्यक्ति उस तरह की आपत्ति, अस्वीकृति और गंभीरता प्रदर्शित कर रहे हैं जो कानून के शासन में होनी चाहिए।’

भाषा सलीम नोमान

नोमान


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