गांधी और शास्त्री के सत्य, अहिंसा और सेवा के आदर्श आज भी प्रासंगिक: राज्यपाल आनंदीबेन पटेल
गांधी और शास्त्री के सत्य, अहिंसा और सेवा के आदर्श आज भी प्रासंगिक: राज्यपाल आनंदीबेन पटेल
लखनऊ, दो अक्टूबर (भाषा) उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने बृहस्पतिवार को महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए दोनों महापुरुषों के जीवन-दर्शन, सत्यनिष्ठा, त्याग, संघर्ष और सेवा-भाव को सभी के लिए प्रेरणा स्रोत बताया।
उन्होंने राजभवन में दोनों महापुरुषों के चित्रों पर माल्यार्पण करने के बाद कहा कि महात्मा गांधी ने न केवल अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए विवश किया, बल्कि अपने सत्य और अहिंसा के अद्भुत मार्गदर्शन से विश्व को एक नई दिशा दी।
उन्होंने कहा,‘‘ शास्त्री जी का ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा आज भी उतना ही प्रासंगिक है। यदि हम इन आदर्शों को अपने जीवन में अपनायेंगे तो हमारा परिवार, समाज और देश प्रगति की नई ऊंचाइयों तक पहुंच सकेगा।’’
राज्यपाल ने अपने बुल्गारिया और दक्षिण अफ्रीका भ्रमण का उल्लेख करते हुए बताया कि उन्होंने वहां फीनिक्स आश्रम देखा जहां गांधी जी स्वयं समाचार तैयार करते थे और छपवाते थे। उन्होंने कहा कि वहां उन्होंने एक स्कूल भी देखा, जिसकी स्थापना गांधी जी ने की थी।
उन्होंने कहा कि जब गांधी जी भारत लौटे, तो उन्होंने पूरे देश का भ्रमण किया तथा देश की गरीबी देखकर वह साधारण वस्त्र धारण करने लगे।
राज्यपाल ने कहा कि गांधी जी ने साबरमती आश्रम और विद्यापीठ की स्थापना की, शिक्षा, स्वच्छता और गांवों के उत्थान के लिए अनेक कार्यक्रम चलाए। उन्होंने कहा कि गांधी जी का संपूर्ण जीवन सेवा, त्याग और समाज सुधार के लिए समर्पित था।
राज्यपाल ने कहा कि शास्त्री जी ने अपने सादगीपूर्ण और ईमानदार जीवन से राजनीति में नैतिकता और मूल्यों की नई मिसाल प्रस्तुत की तथा देश को खाद्यान्न और दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर किया।
उन्होंने कहा कि शास्त्री जी कहते थे कि यदि देश को विकसित करना है तो किसान को सक्षम बनाना होगा और जवान को मजबूत।
पटेल ने कहा कि शास्त्रीजी के नेतृत्व में न केवल भारत ने खाद्य संकट से उबरना शुरू किया, बल्कि आत्मनिर्भरता की दिशा में भी ठोस कदम बढ़ाए।
राज्यपाल ने निर्देश दिया कि विद्यालय के पुस्तकालय में स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित साहित्य और महान स्वतंत्रता सेनानियों की जीवनियों का होना अनिवार्य है। उनका कहना था कि महात्मा गांधी की आत्मकथा को विद्यालयों में अवश्य पढ़ाया जाए और बच्चों को बैठकर इसे ध्यानपूर्वक पढ़ने के लिए प्रेरित किया जाए।
राजभवन में आयोजित कार्यक्रम में बच्चों ने गांधी जी के प्रिय भजनों का सामूहिक गायन कर वातावरण को भावपूर्ण बना दिया।
भाषा राजेंद्र
राजकुमार
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