सामूहिक बलात्कार के दोषी पूर्व मंत्री पॉक्सो कानून से बरी, विरोध में सरकार ने उच्‍च न्‍यायालय में की अपील

उत्तर प्रदेश सरकार ने शनिवार को पॉक्सो कानून के तहत पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति और उनके अन्य सहयोगियों को बरी किए जाने के खिलाफ उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में अपील दाखिल की है। न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति सरोज यादव की खंडपीठ ने सुनवाई के लिए अपील स्वीकार करते हुए जेल अधीक्षक के माध्यम से आरोपियों को नोटिस जारी किया है। Government moves High Court against ex-minister's acquittal of POCSO Act

सामूहिक बलात्कार के दोषी पूर्व मंत्री पॉक्सो कानून से बरी, विरोध में सरकार ने उच्‍च न्‍यायालय में की अपील

court hearing

Modified Date: November 29, 2022 / 08:07 pm IST
Published Date: March 5, 2022 9:15 pm IST

लखनऊ, 5 मार्च । उत्तर प्रदेश सरकार ने शनिवार को पॉक्सो कानून के तहत पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति और उनके अन्य सहयोगियों को बरी किए जाने के खिलाफ उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में अपील दाखिल की है। न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति सरोज यादव की खंडपीठ ने सुनवाई के लिए अपील स्वीकार करते हुए जेल अधीक्षक के माध्यम से आरोपियों को नोटिस जारी किया है।

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पॉक्सो अदालत ने 12 नवंबर, 2021 को गायत्री प्रसाद प्रजापति को सामूहिक बलात्कार करने का दोषी ठहराया, लेकिन उसे और सह-आरोपी अशोक तिवारी एवं आशीष शुक्ला को पॉक्सो अधिनियम के आरोपों से बरी कर दिया। इसके अलावा, पॉक्सो अदालत ने अन्य आरोपियों विकास वर्मा, रूपेश्वर, अमरेंद्र सिंह उर्फ पिंटू और चंद्रपाल को पर्याप्त सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। उच्‍च न्‍यायालय ने इन चारों आरोपियों के खिलाफ राज्य की अपील पर सुनवाई के लिए पेश होने के लिए जमानती वारंट जारी किया है।

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इस मामले में गायत्री प्रजापति, अशोक तिवारी व अशोक शुक्ला ने भी अपनी दोषसिद्धि के विरुद्ध अलग-अलग अपील दाखिल की हैं। सभी अपीलों पर अग्रिम सुनवाई 26 अप्रैल को होगी। पिछली अखिलेश यादव सरकार में प्रभावशाली मंत्री रहे गायत्री को मार्च 2017 में एक महिला के साथ सामूहिक बलात्कार करने और उसकी नाबालिग बेटी के साथ बलात्कार करने के प्रयास के आरोप में गिरफ्तार किया गया था ।

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गायत्री तब से जेल में कैद है। उन्हें एक बार जमानत दी गई थी लेकिन मामले में जेल से बाहर आने से ठीक पहले उसे उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया था। उच्‍च न्‍यायालय ने कहा था कि जमानत देने में गड़बड़ी हुई थी। चित्रकूट जिले की रहने वाली एक महिला ने पूर्व मंत्री और उनके साथियों पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था और उसने यह भी आरोप लगाया था कि गायत्री प्रजापति ने उसकी नाबालिग बेटी के साथ बलात्कार करने का भी प्रयास किया था। महिला की याचिका पर उच्चतम न्यायालय के दखल के बाद 18 फरवरी, 2017 को लखनऊ के गौतमपल्ली पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

 


लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com