सामूहिक बलात्कार के दोषी पूर्व मंत्री पॉक्सो कानून से बरी, विरोध में सरकार ने उच्च न्यायालय में की अपील
उत्तर प्रदेश सरकार ने शनिवार को पॉक्सो कानून के तहत पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति और उनके अन्य सहयोगियों को बरी किए जाने के खिलाफ उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में अपील दाखिल की है। न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति सरोज यादव की खंडपीठ ने सुनवाई के लिए अपील स्वीकार करते हुए जेल अधीक्षक के माध्यम से आरोपियों को नोटिस जारी किया है। Government moves High Court against ex-minister's acquittal of POCSO Act
court hearing
लखनऊ, 5 मार्च । उत्तर प्रदेश सरकार ने शनिवार को पॉक्सो कानून के तहत पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति और उनके अन्य सहयोगियों को बरी किए जाने के खिलाफ उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में अपील दाखिल की है। न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति सरोज यादव की खंडपीठ ने सुनवाई के लिए अपील स्वीकार करते हुए जेल अधीक्षक के माध्यम से आरोपियों को नोटिस जारी किया है।
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पॉक्सो अदालत ने 12 नवंबर, 2021 को गायत्री प्रसाद प्रजापति को सामूहिक बलात्कार करने का दोषी ठहराया, लेकिन उसे और सह-आरोपी अशोक तिवारी एवं आशीष शुक्ला को पॉक्सो अधिनियम के आरोपों से बरी कर दिया। इसके अलावा, पॉक्सो अदालत ने अन्य आरोपियों विकास वर्मा, रूपेश्वर, अमरेंद्र सिंह उर्फ पिंटू और चंद्रपाल को पर्याप्त सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। उच्च न्यायालय ने इन चारों आरोपियों के खिलाफ राज्य की अपील पर सुनवाई के लिए पेश होने के लिए जमानती वारंट जारी किया है।
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इस मामले में गायत्री प्रजापति, अशोक तिवारी व अशोक शुक्ला ने भी अपनी दोषसिद्धि के विरुद्ध अलग-अलग अपील दाखिल की हैं। सभी अपीलों पर अग्रिम सुनवाई 26 अप्रैल को होगी। पिछली अखिलेश यादव सरकार में प्रभावशाली मंत्री रहे गायत्री को मार्च 2017 में एक महिला के साथ सामूहिक बलात्कार करने और उसकी नाबालिग बेटी के साथ बलात्कार करने के प्रयास के आरोप में गिरफ्तार किया गया था ।
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गायत्री तब से जेल में कैद है। उन्हें एक बार जमानत दी गई थी लेकिन मामले में जेल से बाहर आने से ठीक पहले उसे उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया था। उच्च न्यायालय ने कहा था कि जमानत देने में गड़बड़ी हुई थी। चित्रकूट जिले की रहने वाली एक महिला ने पूर्व मंत्री और उनके साथियों पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था और उसने यह भी आरोप लगाया था कि गायत्री प्रजापति ने उसकी नाबालिग बेटी के साथ बलात्कार करने का भी प्रयास किया था। महिला की याचिका पर उच्चतम न्यायालय के दखल के बाद 18 फरवरी, 2017 को लखनऊ के गौतमपल्ली पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

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