Mukhtar Ansari used to travel with vehicles numbered 786

Mukhtar Ansari Death : पूर्वाचंल में बोलती थी मुख्तार अंसारी की तूती, 786 नंबर वाली कारों के साथ चलता था माफिया

पूर्वाचंल में बोलती में थी मुख्तार अंसारी की तूती, Mukhtar Ansari used to travel with vehicles numbered 786

Edited By :   Modified Date:  March 28, 2024 / 11:24 PM IST, Published Date : March 28, 2024/11:00 pm IST

लखनऊः Mukhtar Ansari Life Story जेल में बंद पूर्व सांसद व बाहुबली नेता मुख्‍तार अंसारी की गुरुवार को हार्ट अटैक से मौत हो गई। तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। इलाज के दौरान मुख्तार अंसारी ने दम तोड़ दिया। पेट में गैस व यूरिन इन्फेक्शन की शिकायत के कारण दो दिन पहले भी पूर्व सांसद को मेडिकल कॉलेज अस्‍पताल जे जाया गया था। मौत की खबर के बाद मुख्तार के छोटे बेटे उमर अंसारी बांदा के लिए रवाना हो गए हैं। इसके साथ ही मुख्तार के बड़े बेटे अब्बास अंसारी की पत्नी निखत भी बांदा के लिए रवाना हो गई हैं। वहीं अफजाल अंसारी कुछ देर पहले गाजीपुर से बांदा के लिए रवाना हुए हैं।

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जानिए मुख़्तार कैसे अपराध की सीढ़ियां चढ़ता रहा

Mukhtar Ansari Life Story 6 फुट 2 इंच की हाइट वाले मुख्तार का कद अपराध की दुनिया में काफी ऊंचा है। मुख्तार अंसारी का जन्म गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद में 3 जून 1963 को हुआ था। उसके पिता का नाम सुबहानउल्लाह अंसारी और मां का नाम बेगम राबिया था। मुख्तार अंसारी मखनू सिंह गिरोह का सदस्य था, जो 1980 के दशक में काफी सक्रिय था। अंसारी का यह गिरोह कोयला खनन, रेलवे निर्माण, स्क्रैप निपटान, सार्वजनिक कार्यों और शराब व्यवसाय जैसे क्षेत्रों में लगा हुआ था। अपहरण, हत्या व लूट सहित अन्य आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देता था। जबरन वसूली का गिरोह चलाता था।मऊ, गाजीपुर, वाराणसी और जौनपुर में सक्रियता ज्यादा थी। 20 से भी कम की उम्र में मखनू सिंह गिरोह में शामिल होकर मुख्तार अपराध की सीढ़ियां चढ़ता रहा।

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कृष्णानंद राय हत्या और ब्रजेश सिंह से दुश्मनी

Mukhtar Ansari Death व‍िधायक कृष्‍णानंद राय की हत्‍या के पीछे मुख्‍तार अंसारी का हाथ होने की वजहों को लेकर कई अटकलें लगती रही हैं। कहा जाता है क‍ि यूपी की मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट पर मुख्तार अंसारी और उनके भाई अफजाल अंसारी का प्रभाव था। 1985 से लगातार ये सीट अंसारी परिवार के कब्जे में रही, लेकिन 2002 में बीजेपी उम्मीदवार कृष्णानंद राय ने अफजाल अंसारी को हरा कर यह सीट हथिया ली। यह सीट अंसारी परिवार के पास 1985 से ही थी। वहीं कृष्णानंद राय की चुनाव में मुख्तार के दुश्मन ब्रजेश सिंह ने काफी मदद की थी। पारिवारिक सीट पर हार और दुश्मन के उम्मीदवार की जीत से मुख्तार आग बबूला था। कृष्णानंद राय विधायक के तौर पर अपना कार्यकाल भी पूरा नहीं कर पाए। बताया जाता है कि 2005 में उनके काफिले पर मुख्तार के गुगों ने 500 राउंड से अधिक गोलियां चलाई। विधायक कृष्णानंद राय समेत सात लोग जो उस गाड़ी में सवार थे मौके पर ही मारे गए।

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महंगी गाड़ियों का शौक

मुख्तार जब गैंगस्टर से विधायक बना तो गाड़ियों का यह शौक उसके साथ काफिले की शक्ल में भी दिखने लगा। बदलते दौर के साथ मुख्तार के मारुति जिप्सी के अलावा टाटा सफारी, फोर्ड एंडेवर, पजेरो स्पोर्ट, ऑडी, BMW जैसी गाड़ियों का कलेक्शन खूब रहा। 80 और 90 के दशक में जब मुख्तार के भाई अफजाल विधायक हो चुके थे, तब क्रिकेट खिलाड़ी मुख्तार अंसारी को बुलेट मोटर साइकिल, एंबेसडर कार और जीप से शिकार खेलने का शौक था।

 
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