श्रीराम स्वरूप स्मारक विश्वविद्यालय में हुए लाठीचार्ज की न्यायिक जांच का अनुरोध खारिज

श्रीराम स्वरूप स्मारक विश्वविद्यालय में हुए लाठीचार्ज की न्यायिक जांच का अनुरोध खारिज

श्रीराम स्वरूप स्मारक विश्वविद्यालय में हुए लाठीचार्ज की न्यायिक जांच का अनुरोध खारिज
Modified Date: September 15, 2025 / 11:25 pm IST
Published Date: September 15, 2025 11:25 pm IST

लखनऊ, 15 सितंबर (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने बाराबंकी स्थित श्रीराम स्वरूप स्मारक विश्वविद्यालय के छात्रों पर हाल में हुए कथित लाठीचार्ज की न्यायिक जांच का अनुरोध सोमवार को खारिज कर दिया।

हालांकि अदालत ने स्पष्ट किया है कि इस याचिका का निपटारा करने का मतलब यह नहीं है कि विश्वविद्यालय या अन्य प्रतिवादियों की किसी भी अवैध हरकत की अनदेखी की जा रही है।

न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला की खंडपीठ ने आशीष सिंह की याचिका पर गत शुक्रवार को यह आदेश पारित किया। अदालत की वेबसाइट पर इसे सोमवार को जारी किया गया।

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याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के अधीन न्यायिक जांच और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई का अनुरोध किया था।

पीठ ने याचिका पर विचार से इनकार करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता का अनुरोध पीड़ित छात्र स्वयं कर सकते हैं।

अदालत ने कहा कि जहां तक श्रीराम स्वरूप स्मारक विश्वविद्यालय में विधि पाठ्यक्रम चलाने का सवाल है तो इसी विषय पर एक जनहित याचिका पहले से ही लंबित है।

श्री रामस्वरूप स्मारक विश्वविद्यालय में विधि पाठ्यक्रमों में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) सहित कई छात्र समूहों ने गत एक सितंबर को विरोध प्रदर्शन शुरू किया था। इस दौरान हुए पुलिस लाठीचार्ज में एबीवीपी के कई कार्यकर्ता और अन्य छात्र घायल हो गये थे। विपक्षी दलों और भाजपा दोनों ने ही इसकी आलोचना की थी।

विरोध प्रदर्शनों के बाद उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा आयोग ने मामले की जांच का आदेश दिया था। बाद में विश्वविद्यालय के खिलाफ कथित तौर पर तीन शैक्षणिक सत्रों के लिए एक गैर-मान्यता प्राप्त विधि कार्यक्रम चलाने और 2025-26 के लिए बिना अनुमोदन के छात्रों को प्रवेश देने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

एक अलग मामले में राजस्व विभाग ने विश्वविद्यालय को 30 दिनों के भीतर लगभग छह बीघा सरकारी भूमि पर कथित अतिक्रमण हटाने का निर्देश देते हुए लगभग 28 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था

भाषा सं. सलीम अमित

अमित


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