शाहजहांपुर पुलिस ने आजीवन कारावास के सजायाफ्ता को 37 साल बाद मप्र से गिरफ्तार किया

शाहजहांपुर पुलिस ने आजीवन कारावास के सजायाफ्ता को 37 साल बाद मप्र से गिरफ्तार किया

शाहजहांपुर पुलिस ने आजीवन कारावास के सजायाफ्ता को 37 साल बाद मप्र से गिरफ्तार किया
Modified Date: December 13, 2025 / 01:14 am IST
Published Date: December 13, 2025 1:14 am IST

शाहजहांपुर (उप्र) 12 दिसंबर (भाषा) शाहजहांपुर जिले की पुलिस ने साधु के भेष में रह रहे फरार आजीवन कारावास के सजायाफ़्ता को आधुनिक विशिष्ट सर्विलांस तकनीक से 37 साल के बाद मध्य प्रदेश से गिरफ्तार कर लिया। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी।

पुलिस अधीक्षक (एसपी) राजेश द्विवेदी ने शुक्रवार को पीटीआई-भाषा को बताया कि गिरफ्तार आरोपी की पहचान राजेश उर्फ राजू के रूप में हुई, जिसे पुलिस ने आज गायत्री शक्तिपीठ, शिवपुरी (मध्यप्रदेश) से 37 साल के बाद गिरफ्तार कर लिया।

उन्होंने घटना का ब्योरा देते हुए कहा कि थाना तिलहर में 28 अगस्त 1986 में गंगा दीन (मुनीम) तथा ओमप्रकाश रस्तोगी अपने आभूषणों की दुकान पर घर से रिक्शा पर सवार होकर जा रहे थे। उन्होंने कहा कि इनके पास दुकान पर प्रयुक्त होने वाला तेजाब भी साथ में था, तभी रास्ते में राजेश उर्फ राजू आया और उनके साथ मारपीट करने लगा। इस दौरान राजेश ने ओमप्रकाश के हाथ से तेजाब की बोतल छीनकर उन्हीं के ऊपर डाल दी जिससे ओमप्रकाश तथा गंगा दीन दोनों घायल हो गए थे।

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उन्होंने बताया कि मामले में आरोपी राजेश उर्फ राजू के विरुद्ध हत्या के प्रयास और अन्य संबंधित धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कर आरोपी को जेल भेज दिया गया। पुलिस ने आरोपपत्र दाखिल किया और न्यायालय ने सुनवाई पूरी करने के बाद राजेश को 30 मई 1988 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। बाद में उच्च न्यायालय से उसे जमानत मिल गई।

द्विवेदी ने बताया कि इसके बाद आरोपी न्यायालय में कभी भी हाजिर नहीं हुआ और तब न्यायालय ने उसकी गिरफ्तारी का वारंट जारी किया। पुलिस ने उसे आज गायत्री शक्तिपीठ शिवपुरी से 37 साल के बाद गिरफ्तार कर लिया।

एसपी ने बताया कि इस दौरान आरोपी राजेश पड़ोसी जनपदों के अलावा धार्मिक स्थलों पर रहता था और एक धार्मिक स्थल पर दो से चार माह तक रुकता। इसके बाद दूसरे धार्मिक स्थल पर पहुंच जाता था। इसी तरह यह आरोपी भेष बदलकर 37 साल तक घूमता रहा और बाद में इसने गायत्री शक्तिपीठ शिवपुरी मध्यप्रदेश में अपना स्थायी ठिकाना बना लिया, जहां यह साधु के भेष में रह रहा था।

द्विवेदी ने बताया की पुलिस विभाग के पोर्टल ‘नाफीस’ आदि में अपराधियों के फिंगरप्रिंट रहते हैं। इसे शामिल करते हुए आधुनिक विशिष्ट सर्विलांस तकनीक से 37 साल के बाद आरोपी को पकड़ा जा सका।

भाषा सं आनन्द नेत्रपाल

नेत्रपाल


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