वर्ष 2027 का विधानसभा चुनाव जीतकर ‘सामाजिक न्याय की सरकार’ बनाना सपा का लक्ष्य: अखिलेश

वर्ष 2027 का विधानसभा चुनाव जीतकर 'सामाजिक न्याय की सरकार' बनाना सपा का लक्ष्य: अखिलेश

वर्ष 2027 का विधानसभा चुनाव जीतकर ‘सामाजिक न्याय की सरकार’ बनाना सपा का लक्ष्य: अखिलेश
Modified Date: November 10, 2025 / 08:29 pm IST
Published Date: November 10, 2025 8:29 pm IST

लखनऊ, 10 नवंबर (भाषा) समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोमवार को कहा कि उत्तर प्रदेश में वर्ष 2027 में होने वाला विधानसभा का चुनाव जीतकर सामाजिक न्याय के लिए प्रतिबद्ध सरकार बनाना उनकी पार्टी की पहली प्राथमिकता है।

उन्होंने दोहराया कि सपा का दीर्घकालिक लक्ष्य राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करना है।

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने लखनऊ स्थित सपा मुख्यालय में प्रेस वार्ता में कहा, ‘ नेताजी (पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव) सहित हमारा सामूहिक सपना है कि समाजवादी पार्टी एक राष्ट्रीय पार्टी बने। लेकिन इसके लिए हमें 2029 के लोकसभा चुनाव तक इंतजार करना होगा क्योंकि राष्ट्रीय पार्टी का गठन इतनी जल्दी नहीं हो सकता। निर्वाचन आयोग ने कुछ मानक तय किए हैं जिन्हें पूरा करना होगा।’

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यादव ने कहा कि इस वक्त उनकी पार्टी का ध्यान उत्तर प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनावों पर है और पार्टी की प्राथमिकता यह चुनाव जीतकर उत्तर प्रदेश में ‘सामाजिक न्याय की सरकार’ स्थापित करना है।

उन्होंने मौजूदा भाजपा सरकार पर शैक्षणिक और चिकित्सा संस्थानों को ‘बर्बाद’ करने और मनमानी नियुक्तियां करने का आरोप लगाया।

यादव ने कहा, ‘सत्ता में बैठे लोगों ने शैक्षणिक और चिकित्सा संस्थानों को बर्बाद कर दिया है और फिर भी दावा करते हैं कि उन्होंने 80 मेडिकल कॉलेज खोले हैं। इसके बावजूद लोगों को इलाज नहीं मिल रहा है। उत्तर प्रदेश इतना बड़ा राज्य है फिर भी यहां कैंसर जैसी बीमारियों के इलाज की उचित सुविधाएं नहीं हैं। लोगों को इलाज के लिए दिल्ली या मुंबई जाना पड़ता है।’

सपा प्रमुख ने आरोप लगाया कि सरकार निजी कंपनियों को फ़ायदा पहुंचाने के लिए जानबूझकर सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा व्यवस्था को कमजोर कर रही है।

उन्होंने आरोप लगाया, ‘वे (भाजपा नेता) नए निजी अस्पतालों के उद्घाटन से खुश होते हैं क्योंकि इसका मतलब है कि वे एक और सरकारी संस्थान को बर्बाद करने में कामयाब रहे हैं। भाजपा निजी संस्थानों को बढ़ावा दे रही है जबकि सार्वजनिक संस्थानों को व्यवस्थित रूप से बर्बाद कर रही है।’

भाषा सलीम नोमान

नोमान


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