इस राज्य की सरकार बिजलीघरों के लिए नहीं खरीदेगी आयातित कोयला, केंद्र सरकार को चिट्ठी भेजकर बताया

UP Power Problem: The government of this state will not buy imported coal for power plants, केंद्र सरकार को चिट्ठी भेजकर बताया

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  • Publish Date - August 18, 2022 / 07:17 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:59 PM IST

उत्तरप्रदेश।UP Power Problem: राज्य सरकार अब प्रदेश के बिजलीघरों के लिए आयातित कोयला नहीं खरीदेगी। शासन ने केंद्र सरकार को पत्र भेजकर कह दिया है कि जुलाई में अगस्त और सितंबर के लिए आयातित कोयला खरीदने की दी गई सहमति को फिलहाल निरस्त माना जाए। राज्य सरकार के इस कदम से प्रदेश को 1098 करोड़ रुपये की बचत हुई है।

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UP Power Problem:  केंद्रीय विद्युत मंत्रालय की ओर से आयातित कोयले की खरीद को बाध्यकारी किए जाने के बाद पिछले महीने राज्य सरकार की ओर से अगस्त और सितंबर में बिजलीघरों के लिए 5.46 लाख मीट्रिक टन आयातित कोयले की खरीद को मंजूरी देते हुए कोयला मंत्रालय को सहमति भेज दी गई थी। उधर, राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद और आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन आयातित कोयले की खरीद से उपभोक्ताओं पर दरों का बोझ बढ़ने की बात कहते हुए इसका विरोध कर रहे थे। इस बीच कोयले की उपलब्धता बढ़ने और बिजलीघरों में कोयले की मांग में कमी होने की वजह से विद्युत मंत्रालय ने आयातित कोयले की खरीद की अनिवार्यता संबंधी आदेश को वापस ले लिया।

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सहमति को लिया वापस

UP Power Problem: चूंकि केंद्रीय विद्युत मंत्रालय के दबाव के कारण राज्य सरकार ने दो महीने के लिए आयातित कोयले की खरीद की सहमति कोयला मंत्रालय को भेज दी थी इसलिए अब इसे निरस्त करने का पत्र भेजा गया है। अपर मुख्य सचिव ऊर्जा अवनीश कुमार अवस्थी ने केंद्रीय कोयला सचिव डॉ. अनिल कुमार जैन को भेजे गए पत्र में कहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से दो महीने के लिए आयातित कोयले की खरीद की दी गई सहमति को फिलहाल वापस ले लिया गया है। राज्य सरकार ने आयातित कोयले की खरीद नहीं करने का निर्णय किया है इसलिए पूर्व में भेजी गई सहमति को वापस ले लिया गया है। इसे निरस्त समझा जाए।

बढ़ानी पड़ती बिजली दरें

UP Power Problem:  राज्य विद्युत उत्पादन निगम के सूत्रों का कहना है कि राज्य सरकार के इस फैसले से काफी राहत मिली है। अगर आयातित कोयले की खरीद की जाती तो दो महीने में 1098 करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्यय भार पड़ने की आशंका थी। हालांकि राज्य सरकार की ओर से इस अतिरिक्त व्यय भार का वहन करने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन देर सवेर इसका असर दरों में बढ़ोतरी के रूप में आम उपभोक्ताओं पर भी पड़ सकता था। दरअसल, घरेलू कोयले की कीमत जहां 3000 रुपये मीट्रिक टन है वहीं आयातित कोयला 20000 रुपये मीट्रिक टन में खरीदा जाना था।

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UP Power Problem:  प्रदेश में कोयले की उपलब्धता की स्थिति बेहतर हुई है। बिजलीघरों में कोयले की मांग में भी कमी आई है। इस बीच केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने आयातित कोयले की खरीद की योजना भी वापस ले ली है। इसके मद्देनजर हमने कोयला मंत्रालय को पत्र भेजकर सूचित कर दिया है कि यूपी को आयातित कोयला नहीं चाहिए। पूर्व में भेजी गई सहमति निरस्त मानी जाए।

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