जालौन, 24 मई (भाषा) उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में लंबे समय से लोग पानी के लिए संघर्ष करते आ रहे हैं लेकिन अब नून नदी के पुनरुद्धार के प्रयास शुरू होने से यहां के निवासियों ने राहत की सांस ली है।
नून नदी किसी जमाने में बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती थी।
करीब 87 किलोमीटर लंबी नून नदी बुंदेलखंड जिले के कोच विकास खंड के सताह गांव से निकलती है और आगरा की ओर बहती है।
यह नदी लंबे समय से उपेक्षा के कारण विलुप्त हो चुकी थी।
जिलाधिकारी एवं ग्रामीणों के प्रयास से नून नदी को श्रमदान कर पुनर्जीवित करने का प्रयास शुरू किया गया और जुलाई तक यह कार्य पूरा होने की उम्मीद है।
व्यवस्थित संरक्षण व बढ़ते कृषि अतिक्रमण के कारण ही यह सूख गई, जिसके कारण अनुपयोगी भूमि का एक बड़ा हिस्सा रह गया।
सतोह ग्राम सभा के प्रधान हरिकिशोर पटेल ने कहा, “नून नदी नहर के पानी और प्राकृतिक झरनों से पोषित होकर बहती थी। लेकिन समय के साथ, इसके आसपास की भूमि पर खेती की जाने लगी और पानी के बहने के लिए कोई जगह नहीं बची। नतीजतन नदी के बजाय यह सिर्फ दलदल बनकर रह गया।”
नून नदी अपने उद्गम के कुछ समय बाद ही 40 किलोमीटर के क्षेत्र में काफी हद तक सूख गई, जिसके बाद पारिस्थितिकी तंत्र का पतन हुआ और हजारों एकड़ कृषि भूमि जलमग्न और बंजर हो गई जबकि पीने और सिंचाई के लिए पानी गायब होने लगा।
नदी के पुनरुद्धार की दिशा में 2019 की शुरुआत में ही कदम उठ गए थे, जिसमें बारिश के पानी के बहाव को रोकने के उपाय किए गए थे।
जिला प्रशासन ने 2021 में गाद निकालने का काम शुरू किया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी नवंबर 2021 में “मन की बात” संबोधन में इन प्रयासों को मान्यता दी,
इस उल्लेख ने जमीनी स्तर पर प्रयासों को और बढ़ावा दिया।
उत्तर प्रदेश सरकार में जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह और जिलाधिकारी राजेश कुमार पांडेय द्वारा प्रयासों को आगे बढ़ाया जा रहा है, जिन्होंने स्थिति की गंभीरता को स्वीकार किया और श्रमदान के रूप में स्थानीय लोगों से सहायता मांगी।
प्रभावित क्षेत्रों में ग्राम चौपालों (ग्राम सभाओं) की एक श्रृंखला आयोजित की गई, जिससे किसानों को अपनी चिंताओं को व्यक्त करने और समाधान सुझाने का एक मंच मिला।
जिलाधिकारी पांडेय ने बताया, “एक बात स्पष्ट थी। नून नदी को पुनर्जीवित करना केवल एक पर्यावरणीय प्राथमिकता नहीं थी – यह क्षेत्र के अस्तित्व के लिए आवश्यक था।”
जल शक्ति मंत्री और जिलाधिकारी ने 13 अप्रैल को प्रतिबद्धता के रूप में ग्रामीणों के साथ मिलकर फावड़े चलाए, जिससे नदी के जीर्णोद्धार को बढ़ावा मिला और तब से, आंदोलन ने गति पकड़ ली।
स्थानीय समुदाय इस मुद्दे पर एकजुट हुए हैं और नदी के तल को साफ करने व गाद निकालने के लिए श्रमदान-स्वैच्छिक श्रम-की पेशकश की है।
अब तक, 300 से अधिक लोगों ने नदी के मार्ग को बहाल करने के दैनिक प्रयास में भाग लिया है।
महेवा गांव के ग्राम प्रधान शंकर सिंह ने बताया, “लोग दिन-रात काम कर रहे हैं।”
उन्होंने बताया, “कुकर के पास नून नदी पूरी तरह से सूख गई थी और इसका पानी प्रदूषित नाले के माध्यम से अन्यत्र जाने लगा था। अब, हम फिर से एक स्वच्छ, निरंतर प्रवाह को बहाल करने की उम्मीद करते हैं।”
भाषा सं आनन्द नेत्रपाल जितेंद्र
जितेंद्र
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