राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग को लेकर श्रीलंका में व्यापार यूनियन ने खोला मोर्चा, 1000 संगठनों ने किया देशव्यापी हड़ताल

राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग को लेकर यूनियन ने खोला मोर्चा! 1,000 trade unions on nationwide strike to demand president's resignation

राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग को लेकर श्रीलंका में व्यापार यूनियन ने खोला मोर्चा, 1000 संगठनों ने किया देशव्यापी हड़ताल
Modified Date: November 29, 2022 / 08:44 pm IST
Published Date: April 28, 2022 5:33 pm IST

कोलंबो: demand president’s resignation श्रीलंका में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के तत्काल इस्तीफे की मांग को लेकर करीब 1000 व्यापार यूनियन ने बृहस्पतिवार को एक दिन की देशव्यापी हड़ताल का आयोजन किया। देश में अभूतपूर्व आर्थिक संकट से निपटने में नाकाम रहने के कारण उनके इस्तीफे की मांग की जा रही है।

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demand president’s resignation वर्ष 1948 में ब्रिटेन से आजादी के बाद से श्रीलंका पहली बार इस तरह की अप्रत्याशित आर्थिक उथल-पथल का शिकर है। इस संकट का आंशिक कारण विदेशी मुद्री की कमी है, जिसका मतलब है कि श्रीलंका जरूरी खाद्य पदार्थों और ईंधन के आयात का भुगतान करने में समर्थ नहीं है। इसके कारण जरूरी चीजों की कमी होने समेत अधिकतर वस्तुओं के दाम बढ़ गये। कई क्षेत्रों की यूनियन ने हड़ताल में भाग लिया जिसमें राज्य सेवा, स्वास्थ्य, बंदरगाह, बिजली, शिक्षा और डाक विभाग के कर्मी शामिल हुए। इस दौरान हड़ताल की एक विषय वस्तु निर्धारित की गई जो थी, ‘‘जनता के आगे झुको, सरकार घर जाओ।’’ इसी के मद्देनजर लोगों ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से ‘घर जाने’ की मांग की।

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स्वास्थ्यकर्मियों के व्यापार यूनियन के रवि कुमुदेश ने कहा कि बृहस्पतिवार की हड़ताल के बाद वे सरकार को इस्तीफा देने के लिए एक सप्ताह का समय देंगे। रवि ने कहा कि इसके बाद सरकार के इस्तीफा देने तक वे लगातार हड़ताल करेंगे। रवि ने कहा कि हड़ताल में 1000 से अधिक व्यापार यूनियन ने हिस्सा लिया। बैंक कर्मचारी यूनियन ने कहा कि हड़ताल के कारण सभी बैंक बंद रहे और सार्वजनिक यातायात बहुत कम चला। विपक्षी दल के नेता मानो गणेशन ने कहा कि कृषि श्रमिकों ने भी हड़ताल में हिस्सा लिया।

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इस बीच परिवहन मंत्री दिलम अमुनुगामा ने कहा कि पुलिस को निर्देश दिया गया है कि हड़ताल के मद्देनजर सार्वजनिक परिवहन को नुकसान पहुंचाने और निजी परिवहन को प्रभावित करने वालों को गिरफ्तार किया जाए। उन्होंने कहा कि सड़क जाम करने वालों के खिलाफ पुलिस कानूनी कार्रवाई करेगी। श्रीलंका रेलवे के महाप्रबंधक धम्मिका जयसुंदरा ने कहा कि बिना पूर्व जानकारी दिये रेलवे कर्मचारियों के बीमार होने की सूचना के कारण ट्रेन सेवाएं बाधित होंगी।

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संघ के सह संयोजक एस पी विथानगे ने कहा कि मंत्री के हस्तक्षेप से कई ट्रेन चलाने की योजना के बावजूद रेल कर्मचारी हड़ताल पर हैं। गौरतलब है कि भारी विदेशी कर्ज के कारण श्रीलंका दिवालिया होने के कगार पर है, उसके पास विदेशी मुद्रा भंडार की कमी है, जिसके कारण वह ईंधन और खाद्यान्न जैसी महत्वपूर्ण चीजों का आयात नहीं कर पा रहा है। सड़कों पर 31 मार्च से ही जमा प्रदर्शनकारी देश के इस भीषण आर्थिक संकट के लिए द्वीपीय देश पर पिछले करीब 20 साल से शासन कर रहे राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और उनके परिवार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।

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