कोलंबो, 27 जनवरी (भाषा) श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने देश में अल्पसंख्यक तमिलों को राजनीतिक स्वायत्तता मुहैया कराने के लिए संविधान में भारत समर्थित 13वें संशोधन को पूरी तरह से लागू करने की आवश्यकता पर बल दिया है।
विक्रमसिंघे ने बृहस्पतिवार को एक सर्वदलीय बैठक को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि अगर किसी ने 13ए को पूरी तरह से लागू करने का विरोध किया तो संसद को कानून को खत्म करने के लिए कदम उठाने चाहिए।
संविधान के 13ए संशोधन में श्रीलंका में तमिल समुदाय को सत्ता के विकेंद्रीकरण का प्रावधान है। भारत 1987 के भारत-श्रीलंका समझौते के बाद लाए गए 13ए संशोधन को लागू करने के लिए श्रीलंका पर जोर देता रहा है।
देश में अभूतपूर्व आर्थिक संकट और राजनीतिक उथल-पुथल के बीच पिछले साल राष्ट्रपति का पद संभालने वाले विक्रमसिंघे ने कहा कि राष्ट्राध्यक्ष होने के नाते मौजूदा कानूनों को लागू करना उनका कर्तव्य है।
विक्रमसिंघे ने कहा, ‘राष्ट्रपति के रूप में, मैं देश के मौजूदा कानून को लागू करने के लिए बाध्य हूं।’ उन्होंने कहा कि 13ए को उसी आधार पर पूरी तरह से लागू किया जाएगा क्योंकि यह पहले से ही देश के संविधान का हिस्सा है। उन्होंने कहा, ‘अगर नहीं, तो संसद को 13ए को खत्म करने के लिए कदम उठाने चाहिए’।
यह सर्वदलीय बैठक भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की यात्रा के ठीक बाद हुई। जयशंकर ने जोर दिया था कि भारत चाहता है कि 13ए को पूरी तरह से लागू किया जाए।
भाषा अविनाश पवनेश
पवनेश
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