‘कौवैक्सिन’ टीके के आपात स्थिति में इस्तेमाल परद फैसले में समय लग सकता है : डब्ल्यूएचओ

‘कौवैक्सिन’ टीके के आपात स्थिति में इस्तेमाल परद फैसले में समय लग सकता है : डब्ल्यूएचओ

  •  
  • Publish Date - October 22, 2021 / 02:47 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:52 PM IST

(योषिता सिंह)

संयुक्त राष्ट्र/ जिनेवा, 22 अक्टूबर (भाषा) विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि किसी टीके के इस्तेमाल की अनुमति देने के फैसला के लिए टीके का पूरी तरह से मूल्यांकन करने और इसकी सिफारिश करने की प्रक्रिया में कभी-कभी अधिक समय लगता है और सबसे अधिक महत्वपूर्ण यह है कि विश्व को सही सलाह ही दी जाए, ‘‘भले ही इसमें एक या दो सप्ताह अधिक लग जाएं।’’

भारत में निर्मित कोविड-19 रोधी ‘कोवैक्सिन’ टीके को आपात स्थिति में इस्तेमाल करने वाले टीकों की सूची में शामिल करने के निर्णय के लंबित होने के बीच डब्ल्यूएचओ के स्वास्थ्य आपात स्थिति कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक डॉ. माइक रेयान ने यह बयान दिया।

रेयान ने ऑनलाइन सवाल-जवाब के दौरान किए एक सवाल के जवाब में यह बात कही। उनसे पूछा गया था कि क्या 26 अक्टूबर तक ‘कोवैक्सिन’ को टीकों की आपात इस्तेमाल की सूची (ईयूएल) में डालने पर कोई निश्चित उत्तर मिल पाएगा।

इससे पहले, डब्ल्यूएचओ की प्रमुख वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने एक ट्वीट में कहा था कि भारत के ‘भारत बायोटेक’ द्वारा निर्मित कोविड-19 रोधी टीके ‘कोवैक्सिन’ को आपात स्थिति में इस्तेमाल करने वाले टीकों की सूची में डालने पर विचार करने के लिए डब्ल्यूएचओ में तकनीकी सलाहकार समूह 26 अक्टूबर को एक बैठक करेगा।

इस सप्ताह, वैश्विक स्वास्थ्य संगठन ने ट्वीट में कहा था कि वह ‘भारत बायोटेक’ के टीके ‘कौवैक्सिन’ के संबंध में अतिरिक्त जानकारी हासिल करने की उम्मीद कर रहा है।

डब्ल्यूएचओ ने ट्वीट किया था, ‘‘ हम जानते हैं कि बहुत से लोग, कोविड-19 के खिलाफ आपात स्थिति में इस्तेमाल किए जाने वाले टीकों की सूची में कोवैक्सीन के शामिल होने के लिए डब्ल्यूएचओ की सिफारिश की प्रतीक्षा कर रहे हैं, लेकिन हम हड़बड़ी में ऐसा नहीं कर सकते हैं, आपात स्थति में उपयोग के लिए किसी उत्पाद की सिफारिश करने से पहले, हमें यह सुनिश्चित करने के लिए इसका अच्छी तरह से मूल्यांकन करना होगा कि वह सुरक्षित एवं प्रभावी है।’’

उसने यह भी कहा था कि ‘भारत बायोटेक’ नियमित आधार पर डब्ल्यूएचओ को आंकड़े मुहैया करा रहा है और डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञों ने इन आंकड़ों की समीक्षा की है और उन्हें अतिरिक्त जानकारी मिलने की भी उम्मीद है।

भाषा निहारिका शाहिद

शाहिद