चीन का ‘नवोन्मेषी तंत्र’: कैसे काम करता है और क्यों मायने रखता है

चीन का ‘नवोन्मेषी तंत्र’: कैसे काम करता है और क्यों मायने रखता है

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  • Publish Date - May 5, 2022 / 04:12 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:55 PM IST

(मरीना युई झांग, स्विनबर्न यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी, डेविड गान, यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड और मार्क डॉजसन, यूनिवर्सिटी ऑफ क्वीन्सलैंड)

मेलबर्न, पांच मई (द कन्वरसेशन) चीन 1980 के दशक से दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल रहा है। इस वृद्धि के पीछे मुख्य कारक देश का नवोन्मेषिता का व्यावहारिक तंत्र है, जो सरकारी परिचालन और बाजारोन्मुखी उद्यमियों के बीच संतुलन बनाता है।

फिलहाल, यह प्रणाली बदलाव से गुजर रही है जिसके वैश्विक आर्थिक तथा राजनीतिक व्यवस्था के लिए व्यापक प्रभाव हो सकते हैं।

चीन की सरकार बेहतर अनुसंधान और विकास, स्मार्ट विनिर्माण सुविधाओं और आधुनिक डिजिटल अर्थव्यवस्था पर जोर दे रही है। उसी समय चीन और पश्चिमी देशों के बीच तनाव से सेमीकंडक्टर तथा बायोफार्मास्युटिकल विनिर्माण जैसे उद्योगों में अंतरराष्ट्रीय सहयोग भी मुश्किल दौर से गुजर रहा है।

कोविड महामारी और खासतौर पर चीन में बड़े स्तर पर लॉकडाउन की वजह से चीन की नवोन्मेषी प्रणाली से शेष दुनिया अलग हो रही है।

सरकार और बाजार के बीच संतुलन:

चीन का वर्तमान ‘नवोन्मेषिता तंत्र’ (इनोवेशन मशीन) 1970 के दशक के आखिर में आर्थिक सुधारों के दौरान विकसित होना शुरू हुआ था, जिससे सरकारी स्वामित्व और केद्रीय योजना की भूमिका कम हो गयी। इसके साथ ही बाजार के लिए नये विचारों को लागू करने के अवसर बढ़ने लगे।

हालांकि उद्यमों की स्वतंत्रता कमजोर भी पड़ सकती है। मसलन पिछले साल सरकार ने उन फिनटेक कंपनियों और निजी शिक्षण (ट्यूटरिंग) क्षेत्र पर कार्रवाई की जो सरकारी लक्ष्यों से अलग चलते हुए दिखाई दिये।

मात्रा के साथ गुणवत्ता निर्माण:

चीन नवोन्मेषिता के अनेक पहलुओं पर अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। इनमें अनुसंधान और विकास व्यय, वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी प्रकाशनों की संख्या और शीर्ष विश्वविद्यालयों की रैंकिंग आदि हैं।

हालांकि इनमें से अनेक कारकों में गुणवत्ता के बजाय मात्रा मापी जाती है।

स्मार्ट विनिर्माण:

चीनी कंपनियां सटीकता के साथ और तेजी एवं लागत के लिहाज से जटिल डिजाइनों को बड़े उत्पादन में बदल सकती है। इसके परिणामस्वरूप चीन का विनिर्माण क्षेत्र एप्पल और टेस्ला जैसी बड़ी कंपनियों को लुभा रहा है।

अगला चरण सरकार की ‘मेड इन चाइना’ 2025 की रूपरेखा में सूचीबद्ध प्रमुख उद्योगों के साथ समन्वय करते हुए ‘उद्योग 4.0’ स्मार्ट विनिर्माण की ओर बढ़ना है।

चीन ने 2020 तक 11 ‘लाइटहाउस फैक्ट्रियां’ बना ली थीं जो विश्व आर्थिक मंच के ‘ग्लोबल लाइटहाउस नेटवर्क’ में किसी भी देश में सर्वाधिक हैं।

आधुनिक डिजिटल अर्थव्यवस्था बनाना:

चीन की अलीबाबा, टेनसेंट और ह्यूवेई जैसी बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियां भी फार्मास्युटिकल अनुसंधान और ऐसे अन्य दूसरे क्षेत्रों में नवोन्मेषिता के लिए मशीन प्रशिक्षण एवं व्यापक डाटा विश्लेषण कर रही हैं।

चीन की आबादी 1.4 अरब से अधिक है। इसका मतलब हुआ कि यहां दुर्लभ बीमारियों के मरीजों की संख्या भी अपेक्षाकृत ज्यादा होती है। इस लिहाज से कंपनियां रोगियों के बड़े डेटाबेस की मदद से ऐसी दवाओं के विकास में आगे बढ़ रही हैं जिनमें किसी व्यक्ति के जीन्स, पर्यावरण और जीवनशैली के आधार पर उपचार सुनिश्चित हो।

अंतरराष्ट्रीय साझेदारी महत्वपूर्ण है:

हमने कोविड-19 के टीकों के संदर्भ में पिछले कुछ महीने में देखा है कि अनुसंधान और विकास में वैश्विक साझेदारी बहुत मूल्यवान है। हालांकि इस तरह के संकेत मिलते हैं कि चीन और पश्चिमी जगत के बीच इस तरह की साझेदारी मुश्किल हो सकती है।

सेमीकंडक्टरो के विनिर्माण को लेकर भी कुछ ऐसा ही है। चीन अब अपनी जरूरत के हिसाब से सभी सेमीकंडक्टरों के निर्माण में सफलता पाने के लिए भारी निवेश कर रहा है। अगर चीन इसमें सफल हो जाता है तो इसका एक परिणाम तो यह निकल सकता है कि चीन निर्मित सेमीकंडक्टरों में मौजूदा सेमीकंडक्टरों की तुलना में अलग तकनीकी मानकों का इस्तेमाल हो सकता है।

मानकों में अंतर:

अलग-अलग तकनीकी मानकों की बात सुनने में हल्की-फुल्की लगती है, लेकिन इससे चीनी और पश्चिमी प्रौद्योगिकियों तथा उत्पादों का साथ में काम करना और मुश्किल होगा। इससे वैश्विक व्यापार और निवेश की संभावनाएं घटेंगी तथा उपभोक्ताओं के लिए परिणाम अच्छे नहीं होंगे।

मानक अलग-अलग होने से चीनी और पश्चिमी डिजिटल नवोन्मेष के क्षेत्र में अंतराल उभरेगा। इससे वित्त, व्यापार और डेटा के क्षेत्र में अलगाव और बढ़ सकता है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तनाव का माहौल बढ़ने के बीच चीन और पश्चिमी देशों दोनों को नवोन्मेषिता के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय साझेदारी के महत्व को समझना होगा।

(द कन्वरसेशन)

वैभव शोभना

शोभना